फिर भी

निर्दयी पछुआ पवन ने बरपाया ऐसा कहर कि सिहर उठा पूरा शिवहर शहर

शिवहर: अचानक मौसम के मिजाज में बदलाव के कारण लगभग एक सप्ताह से पूरा शिवहर शहर शीतलहर के भयंकर चपेट में हैं। जिससे जिले के लोगों का जन-जीवन पूरी तरह से अस्त-व्यस्त हो गया हैं। निर्दयता के सारे पुराने रिकॉर्ड को तोड़ कर निर्दयी पछुआ पवन ने तो आज हद ही पार कर दिया।fogg in sheohar cityपूरे दिन हड्डी को भेदने वाली सनसनाती पछुआ पवन चलती रही। जिसके कारण लोगों का घर से बाहर निकला मुश्किल हो गया हैं। धुंध ऐसी की हाथ का हाथ नजर नही आ रहा था। बस स्टॉप, चौक-चौराहों, गली-मोहल्लों, सड़कों पर पूरे दिन एक अजीब सी विरानगी छाई रही। बड़े-बुजुर्गो से यह सुना कि कई दशकों के बाद ऐसी ठंड पड़ रही हैं।

पछुआ पवन के निर्दयता का आलम यह रहा कि पूरे दिन लोग अपने-अपने घरों में दुबके रहे। जिसके फलस्वरूप चहुँओर सन्नाटा पसरा रहा। सरकारी आदेशानुसार सभी सरकारी एवं गैर-सरकारी विद्यालय ठंड के कारण बंद कर दिए गए। ठंडी का सबसे ज्यादा असर नौनिहालों एवं सुविधा विहीन लोगों के उपर देखा गया। अगले कुछ दिनों तक मौसम इसी तरह से रहने का अनुमान हैं।अब सबसे अहम सवाल यह हैं कि सुविधा संपन्न लोगों के पास ठंडी, गर्मी, धूप, बरसात इत्यादि मौसमों के कुप्रभाव से बचने के लिए तो वे सभी सुविधाएं उपलब्ध होती हैं। जिनके बल पर वे इन मौसमी कुप्रभाव से बच सके लेकिन जरा उनके बारे में सोचिए! जिनके पास मौसमी कुप्रभाव से बचने के लिए कोई साधन उपलब्ध नही हैं। जिनके सिर पर छप्पर नहीं हैं वे खुले आकाश में जीवन व्यतीत करने के लिए बाध्य हैं, तन ढकने के लिए कपड़े नहीं हैं, अर्धनग्न कहीं पड़े ठिठुरन और सिसकियों के बीच उनकी रातें गुजरती हैं और हम बेखबर अपने-अपने घरों में संवेदनहीनता का चादर तान कर चैन की नींद सोते हैं।अब वह घड़ी आ गई है कि हमे अपनी संवेदनहीनता के चादर को हटानी होगी उन बेसहारों की सिसकियों को महसूस करना होगा जो अपनो के बीच भी बेगाने की जिदंगी जीने को विवश हैं। इसलिए फिर भी! न्यूज अपने पाठकों से यह अपील करता हैंं। यदि आपके पास कोई पुरानी चादर, स्वेटर या किसी भी प्रकार के अन्य अतिरिक्त कपड़े हो तो अपने आस-पास के सुविधा विहीन लोगों को दान करें जिनसे उनके प्राणों की रक्षा हो।

[स्रोत- संजय कुमार]

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