आज देश मे सत्ताधारी पार्टी हो या फिर कई हिन्दू संघठन फिर से भारत मे राम राज के समर्थन में है और साथ ही देश का एक वर्ग भी यही मांग कर रहा है। और करे भी क्यों ना क्योंकि कहते है इस देश की मिट्टी के कण-कण मे राम बसे है। परन्तु क्या यह सम्भव है? क्या यह सच है? आइये आज हम उस युग के राम राज की और आज के दौर मे स्थापित होने वाले राम राज की बात करते है।
जब सीता को रावण के चंगुल से बचा लिया गया था ओर जिनके पति स्वयं मर्यादा पुरुषोत्तम राम थे, तब भी उन्हें अपने चरित्र के लिए अग्नि परीक्षा देनी पड़ी, सिर्फ इसलिए कि लोग क्या कहेंगे, राम राज्य की जनता क्या सोचेगी। राम ने यह भी नही सोचा के उस सीता पर क्या गुजरी होगी जो अपने पति धर्म के लिए सब कुछ त्याग दिया था।
तो फिर आज तो न कोई राम है जो किसी स्त्री की रक्षा कर सके ओर न ही शायद ऐसा रावण जिसने सीता का अपहरण करके अपने प्राण तो खतरे मे डाल लिए, परन्तु सीता के चरित्र पर कोई दाग ना लगने दिया।
तो मै पूछता हूँ कहाँ से लाओगे ऐसा राम राज जहां न तो कोई अभी राम है ओर ना ही ऐसा रावण जिसके चंगुल मे रहकर भी किसी औरत का चरित्र सुरक्षित रह सके। और कोई राम रावण के चंगुल से बचाकर उसका चरित्र का प्रमाण पत्र ना मांगे। जब उस युग मे स्वयं सीता माता इस कलंक से ना बच सकी तो फिर इस युग मे यह कैसे संभव हो पायेगा।
अरे धन्यवाद देता हूँ उस दौर के उस रावण को जिसके चंगुल मे रहकर भी सीता सुरक्षित थी। वार्ना आज के दरिंदे तो वह सीमा भी पार कर चुके है। तो फिर आज के इन दरिंदो को तो सिर्फ रावण कहना भी पाप होगा, क्योंकि उस रावण को तो अपनी मर्यादा और औरत के चरित्र दोनो का अंदाजा था।
दोस्तो मेरा मानना है राजयुग कोई सा भी हो पर उसमे इंसान होना जरूरी है। क्योंकि हमे आज के दौर मे-
जब-तक इंसान मे इंसान नजर नही आएगा। तो फिर कैसे किसी मे राम नजर आएगा। और फिर कैसे कोई रावण से सीता बचा पायेगा। जब-तक इंसान मे इंसान नजर नही आएगा। सीता रावण के चंगुल मे यूँ ही फंसी नजर आएगी। और फिर इस दौर मे न कोई राम बचाने आएगा।
[स्रोत- कमलेश चौहान]