प्रस्तुत पंक्तियों में कवियत्री दुनियाँ को यह समझाने की कोशिश कर रही है कि जीवन की कठिन से कठिन मुश्किलें ज्ञानी जन ही झेलते है लेकिन फिर भी होठो पर मुस्कान लिए आजीवन खुदको सही कर्म मार्ग पर लगा देते है। वह कभी खाली बैठ सिर्फ बड़ी-बड़ी बातें ही नहीं करते है बल्कि ज्ञान के मार्ग पर पहले खुद चलकर दूसरों को भी सही राह दिखाते है यही एक मात्र कारण है की जीवन की अंतिम सांस भी अच्छे लोग चैन से लेते है क्योंकि उन्हें पता होता है उन्होंने जीवन में ऐसा कोई काम नहीं करा जिससे लोगो का नुक्सान हो।
अब आप इस कविता का आनंद ले।
बिन इच्छा के भी,
कई बार बहुत से काम करने पड़ते है।
खुदसे लड़के ही यारो, हम जीवन में आगे बढ़ते है।
ज्ञानी जन हर क्षण अपने जीवन में खुदसे ही तो लड़ते है।
फिर जाके हम कही उनकी दी हुई पुस्तक पढ़ते है।
क्या कठनाइयों में गुस्सा उन्हें नहीं आता होगा??
ज्ञानी भी तो अपना दुख अपने ईश्वर को बताता होगा।
सही राह पर चलना उसने भी तो कही से सीखा होगा।
उनकी कठिनाइयों के वक़्त, उनका मन भी तो गुस्सा में आकर चीखा होगा।
फिर भी अपने जीवन से उन्होंने हमे जीना सिखा दिया।
क्योंकि उनके दुखो में, ईश्वर ने उन्हें थाम, उनको सही रास्ता दिखा दिया।
ज्ञानी जन सबको समझ, किसी के जीवन में दखल नहीं देते है।
जग कल्याण कर भी, वो कभी किसी से मुफ्त में कुछ नहीं लेते है।
क्या दुख उनके जीवन में नहीं, फिर भी मुस्कुराके दिखाते है।
अपने मन की बात भी, भरोसा कर, वो बस कुछ लोगो को ही बताते है।
क्योंकि कुछ लोग ही ज्ञानी जन को समझते है।
अपने दुखो को भूल वो उनसे मिलने को तरसते है।
ज्ञान की दुनियाँ अलौकिक होती है।
इस रास्ते पर आजीवन चल,
जीव आत्मा अंतिम क्षण में भी चैन से सोती है।
धन्यवाद।