हेलेन अन्न रिचर्डसन जो भारत में हेलेन के नाम से लोकप्रिय है, उनका जन्म 21 नवंबर 1938 बर्मा के रंगून शहर में हुआ. उनके पिता एंग्लो इंडियन थे और माँ बर्मीज़ थी. उनके भाई रॉजर और बहन जेनिफर इन चार लोगो का परिवार था. दूसरे विश्व युद्ध के दौरान उनके पिता की मृत्यु हो गयी. अपने इंटरव्यू के दौरान हेलेन जी ने अपनी अप्प बीती बताई की कैसे वो अपनी माँ के साथ मुंबई पहुंची 1943 में.
उन्होंने कहा कि “हम लोगों के उदारता पर जीवित रहने के लिए बिना भोजन और कुछ कपड़े साथ लिए जंगल और सैकड़ों गांवों के माध्यम से पैदल चलते रहे, क्योंकि हम निर्धन थे. कभी-कभी, हम ब्रिटिश सैनिकों से मिले जो हमें परिवहन प्रदान करते थे, हमें शरण देते और हमारे फटे हुए पैरों और चोट लगी शरीर का इलाज करते थे और हमें खिलाते जब तक हम असम के डिब्रूगढ़ तक पहुंचे, हमारे समूह के लोग काम होए गए कुछ बीमार पड़ गये थे और पीछे छोड़ दिया गया था, कुछ लोग भूख और बीमारी से मर गए थे. रास्ते में मेरी मां ने गर्भपात किया बचे लोगों को इलाज के लिए डिब्रूगढ़ अस्पताल में भर्ती कराया गया था। माँ और मैं लगभग कंकाल जैसी दशा में हो गए थे मेरे भाई की मृत्यु चेचक के कारण हो गयी”
अपनी दोस्त कुकु की मदद से बॉलीवुड में उन्होंने कोरस नर्तक के रूप में शबस्तान और आवारा (1951) फिल्मों से शुरुवात की, और उनकी नृत्य को सहराया गया और सोलो डांसर के रूप मैं उन्हें अलीफ लैला (1954) और हूर-ए-अरब (1955) जैसी फिल्मों में काम किया. 1958 में जब उन्होंने शक्ति सामंत की फिल्म, हावड़ा ब्रिज में गीत “मेरा नाम चिन चिन चू” किया हेलेन जी सिर्फ 19 वर्ष की थी. मनाम में उनकी भूमिका के लिए उन्हें 1965 में फिल्मफेयर सर्वश्रेष्ठ सहायक अभिनेत्री पुरस्कार के लिए नामांकित किया गया था. लेखक सलीम खान ने उन कुछ फिल्मों में भूमिका निभाने में मदद की जो उन्हें जावेद अख्तर के साथ सह-पटकथा थीं, इम्मान धरम, डॉन, दोस्तीना और शोले. इसके बाद महेश भट्ट की फिल्म लहू के दो रंग 1979 में एक भूमिका निभाई जिसके लिए उन्होंने फिल्मफेयर सर्वश्रेष्ठ सहायक अभिनेत्री का पुरस्कार जीता.1993 में हेलेन को भारत का फिल्मफेयर लाइफटाइम अचीवमेंट पुरस्कार दिया गया था. 2009 के पद्म श्री पुरस्कारों के लिए हेलेन जी को चुना गया था.
1981 में, हेलेन ने एक प्रमुख बॉलीवुड पटकथा लेखक सलीम खान से शादी कर ली खान पहले से ही विवाहित थे और चार बच्चों का पिता; सलमान, अरबाज़, सोहैल और अलवीरा. 1980 के दशक में, हेलेन और सलीम खान ने एक बच्ची, अर्पिता को अपनाया. अर्पिता खान बेघर महिला की बेटी थी, जो मुंबई के फुटपाथ पर कुछ दुर्घटना के कारण मर गई थी.आज अर्पिता शादी शुदा हैं, अपने पति और बच्चे से साथ सुखी हैं.