फिर भी

वो एक किताब

padhe aaj ek anyi kitab

पढ़ना एक नयी किताब आज
जिसमें हो सब, अनभिग्न राज
पढ़ना एक नयी किताब आज

उगता सूरज, डूबता चाँद
खेतो में चरते वह गाय और सांड
फसलों पे लहलहIता वह सुनहरी गेहू
सब कुछ समेटे है वह एक किताब

चलो आओ पढ़े थोड़ी ज्योमेट्री,
सेट स्क्वायर की बाते और स्केल की स्किल
या फिर पागल सी फिरती वह पेंसिल
सब है उस नन्ही सी जान में
खोल के तो देखो ज़रा , वह पड़ी तेरे सामने

बात करें केमिस्ट्री की या कहे फिजिक्स
चीनी क्यों पानी में घुलती है?
क्यों धरा है गोल?
क्यों आकाश है नीला?
भाई! ये चाँद क्यों है इतना चमकीला?
कहती है सब अनकही कहानिया
चाहो तो देखो वो राजा और रानिया.

अंग्रेजी की बात तो करना नहीं,
मेरी भाषा तो उसको बस आती नहीं
संज्ञा सर्वनाम की भी कर सकते हैं बात
अलंकृत है अलंकारों से
वो हिंदी की किताब.

बच्चे हैं जिनसे डरते
वह भूत भी उसमें बस्ते
खोल कर उसे ज़रा झांको तो उन पहलुओं में
तुम पाओगे की किताबे,
बस आसान करती हैं रस्ते.

चाहे करें हम कुछ नहीं
पर चलो आज एक अच्छा काम करें
एक नयी किताब को
ज़रा देखे, दोस्ती करें.

मनुष्य यह सही बात है की एक सामाजिक प्राणी है परन्तु जब हम खुद को अच्छी पुस्तकों के समीप लाते हैं तो हमारा ज्ञान ही नहीं, अपितु सम्पूर्ण विकास होता है. चाहे हम बात करे जीवन में कुछ करने की या न करने की, पुस्तकों का महत्त्व कभी कम नहीं होता.
बच्चो को किताबे पढ़ने के लिए प्रोत्साहित करें, ताकि एक अच्छी आदत का विकास हो सके.

विशेष:- ये पोस्ट इंटर्न नमिता कौशिक ने शेयर की है जिन्होंने Phirbhi.in पर “फिरभी लिख लो प्रतियोगिता” में हिस्सा लिया है, अगर आपके पास भी है कोई स्टोरी तो इस मेल आईडी पर भेजे: phirbhistory@gmail.com

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