फिर भी

कॉमरेडों के छलके आँसू, नम आँखों से दी कामरेड दुर्जन पूनिया को लाल विदाई

जब हम किसान नेता नाम सुनते है, तो बहुत से नेताओ की छवि हमारे सामने आती है और जब हम किसान नेता के साथ किसानो के सघर्ष के लिए सदैव तत्पर रहने वाले एवं किसानों को उनके हक, अधिकार दिलाने वाले, किसानों को अपने अधिकारों के बारे में जाग्रत करने वाले किसान नेता नाम जोड़ दे तो बहुत से किसान नेताओ की छवि हमारे सामने से गायब हो जाती है, और सिर्फ वो ही चेहरे हमारे सामने रहते है, जो सही मायनों में किसान हितैषी हो और इन किसान हितैषी नेताओ में एक स्थान रखते थे, बिल्यु के कॉमरेड दुर्जन सिंह पूनिया।Last journey of durjan poonia16 दिसंबर को दुर्जन सिंह पूनिया का देहांत हो गया और हमने इस महान एवं पुण्य आत्मा को सदा के लिए खो दिया। 16 दिसंबर को उनको उनके निवास स्थान पर कॉमरेडों के द्वारा मार्क्सवादी पार्टी के ध्वज में लाल विदाई दी गई। कॉमरेड दुर्जन पूनिया सन 1952 से भारत की कम्युनिष्ट पार्टी(मार्क्सवादी) के सदस्य थे तथा पूनिया जी ने बिल्यु ग्रामपंचायत के सरपंच पद को भी सुशोभित किया था।भारतीय कम्युनिष्ट पार्टी(मार्क्सवादी) की जिला सचिव निर्मल कुमार प्रजापत ने बताया कि दुर्जन जी हमारे लिए एक आदर्श थे। वो सदा हमारे पूजनीय है। जब भारत में शिक्षा का प्रचार नही था। लोगो के पास रेडियो, टेलीविज़न नही था। उस समय दुर्जन जी पूनिया ने गांव गांव पैदल घूमकर किसानों को उनके हक अधिकार के प्रति जाग्रत किया। किसानों के हक के लिए लड़े।आज वो हमारे बीच नही रहे, पर उनके द्वारा दी गई शिक्षा हमेशा हमारे लिए मार्कदर्शक बनी रहेगी। आज हमने एक इंसान नही बल्कि एक किसान धरोहर खो दी। हम उनके दिखाये रास्ते पर सदैव चलेंगे।

कॉमरेड दुर्जन सिंह पूनिया की अंतिम यात्रा में जिला सचिव माकपा निर्मल कुमार, कॉमरेड उमरावसिंह, वयोवृद्ध कॉमरेड भवानी शंकर बरोड़, जीवण राम मेघवाल, रामकृष्ण छिंपा, दौलतराम सहारन, राकेश नोखवाल, गिरधारी सहारन, रामकरण भाम्भू बिल्यु ग्रामीण वासी, उनके जानकार और जिन लोगो को खबर मिली सब मौजूद रहे। सबके चेहरे पर मायुशी साफ दिख रही थी।

[स्रोत- विनोद रुलानिया]

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