फिर भी

मेहनत का फल मीठा

प्रस्तुत पंक्तियों में कवियत्री दुनियाँ को अज्ञानता के मार्ग से हटने की प्रेरणा दे रही है। वह सोचती है ईश्वर की कृपा यूही नहीं आती उनके आशीष को प्राप्त करने के लिए उनकी ली गई जीवन की कई कड़ी परीक्षा में उतरकर सफल होना पड़ता है।

अब आप इस कविता का आनंद ले.

आसमान से फरिश्ता बनकर,
कोई हमारे सामने, यूही नहीं आता।
उस फ़रिश्ते को बुलाने में,
इंसान का आधा जीवन ही निकल जाता।
सबको प्रेम है ईश्वर से,
मगर उनकी परीक्षा में कोई बैठना नहीं चाहता।
बस हम ही है महान,
ये सोच यहाँ, हर दूसरे इंसान को मज़ा है आता।
जब सुख का पल उनका आशीर्वाद समझा,
तो दुखो में उन्हें तुम कैसे भूल जाते हो??
गलती है तुम्हारी ही और ईश्वर को कोस,
तुम इस माया के ब्रहम जाल में उलझ जाते हो।
जीवन का हर पड़ाव तो यूही गुज़र जायेगा।
जीतेगा तो बस वही, जो वक़्त रहते ईश्वर की,
रचाई लीला को समझ जायेगा।

धन्यवाद

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