फिर भी

सुप्रीम कोर्ट ने सभी पार्टियों को बहस के लिए दिया और समय, रोहिंग्या मामले की सुनवाई 21 नवंबर को

रोहिंग्या मुसलमानों का मुद्दा देश के लिए एक बहुत बड़ा मुद्दा बना हुआ है जिसको लेकर कुछ पार्टियां सहमति व्यक्त कर रही हैं तो कुछ पार्टियां रोहिंग्या मुसलमानों को देश में शरण देने से कतई मना कर रही है. इस मामले की सुनवाई के लिए कोर्ट ने 21 नवंबर की तारीख तय की है सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि वह सब पार्टियों को बहस करने के लिए अभी और समय देना चाहती है.

सुप्रीम कोर्ट ने रोहिंग्या मुसलमानों के फैसले को 21 नवंबर तक टाल दिया है. फैसला टालने का सीधा सा कारण यह है कि सुप्रीम कोर्ट प्रत्येक पार्टी को अपना पक्ष रखने का मौका देना चाहती है सुप्रीम कोर्ट ने अपने जवाब में यह अभी कहा है कि प्रत्येक पार्टी की बहस के बाद 21 नवंबर को कोर्ट अपना फैसला सुनाएगी.

देश की अलग-अलग पार्टियों रोहिंग्या मुसलमानों को चुनावी मुद्दा बनाकर अपने अपने पक्ष रख रही हैं. एआईएमआईएम के अध्यक्ष असदुद्दीन ओवैसी ने केंद्र सरकार पर वार करते हुए 15 सितंबर को एक प्रेस कॉन्फ्रेंस में कहा कि जब तस्लीमा नसरीन आपकी बहन बन सकती है तो रोहिंग्या मुसलमान आपका भाई क्यों नहीं बन सकता क्यों हम उन्हें अपने देश में शरण नहीं दे सकते हैं.

[ये भी पढ़ें: सुप्रीम कोर्ट ने दिल्ली में पटाखे की बिक्री पर पहले निर्णय को संशोधित करने से किया मना]

रोहिंग्या मुसलमान मामलों पर केंद्र सरकार पर उठ रहे सवालों का जवाब देते हुए राजनाथ सिंह ने 21 सितंबर को एक प्रेस कॉन्फ्रेंस में यह बिल्कुल साफ कर दिया था कि रोहिंग्या मुसलमान राष्ट्र सुरक्षा के लिए खतरा है इसलिए उन्हें देश में रहने की अनुमति नहीं दी जा सकती है. साथ ही राजनाथ सिंह ने अपनी बात को आगे बढ़ाते हुए है अभी कहा था कि रोहिंग्या मुसलमानों के पाकिस्तान और आतंकवादी संगठन से जुड़े होने के हमारे पास पुख्ता सबूत भी हैं

अब ऐसे में सुप्रीम कोर्ट का फैसला करती है यह तो 21 नवंबर को ही पता चलेगा.

Exit mobile version