फिर भी

धूप और छाओ

प्रस्तुत पंक्तियों में कवियत्री दुनियाँ को यह समझाने की कोशिश कर रही है कि जीवन में दुख और सुख धूप और छाव की तरह होते है। जीवन की धूप में तप कर इंसान और भी निखर जाता है लेकिन इस बात की गहराई बहुत ही कम लोग समझ पाते है।

धूप जीवन में आई हुई परेशानियों को दर्शाती है और छाओ उन दुखो के लड़कर मिला सफलता का फल है। हर सफल इंसान जीवन की धूप में तपता है फिर जाकर उसे सफलता मिलती है कोई बीमारियों से लड़ता है तो किसी के पास रुपये नहीं होते तो किसी को अपनों का साथ नहीं मिलता इन सब परेशानियों से लड़कर ही इंसान सफल बनता है फिर ऐसे सफल इंसान की कहानियां इतिहास के पन्नो में जग मगाती है।

अब आप इस कविता का आनंद ले

धूप ने तपाया, तो छाओ ने प्यार से,
उन घाव पर मरहम लगाया।
इन दोनों की जुगल बंदी को देख,
कवियत्री को ये ख्याल आया।
ये धूप और छाओ जीवन का हर गहरा सच बताते है।
अपने रूप को दर्शाके ये जीवन की जुड़ी,
हर परिस्थितियों को दर्शाते है।
जीवन की धूप में तप कर इंसान और भी निखर जाता है।
फिर सफलता की चोटी पर पहुँचकर,
अपनी आप बीती शांति से सफलता की छाओ में,
करोड़ो के सामने सुनाता है।
उसकी सफलता की कहानी सुन,
बहुतों का मन भर आता है।
कोई उसके सामने, तो कोई उसके पीछे,
उसके सफलता के गीत गुन-गुनाता है।
मगर जीवन की धूप में तपना,
बहुतों को रास नहीं आता है।

धन्यवाद।

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