श्रीविजयनगर में सरकारी आदेश हवा होते देर नहीं लगाते यह सब तब पता चला जब जिला प्रशासन द्वारा जारी पत्र सामने आया, वह आदेश पत्र पण्डित दीन दयाल उपाध्याय विशेष योग्यजन शिविर आयोजित किया जाने के कार्यक्रम के बारे में पंचायत समिति श्रीविजयनगर, को प्रेषत 4-12-17 था लेकिन यह निर्देश कर्मचारियों द्वारा इतना जरूरी नहीं समझ कर पूरी लापरवाही बरती गई, समय रहते शिविरों की जानकारी दिव्यांगों को नही मिल सकी जिससे सरकार द्वारा काफी बजट खर्च करने और प्रोत्साहन राशि के बावजूद भी अव्यवस्था की भेंट चढ़ गया।
निशक्तजन लम्बी लगी कतारों में परेशान होते रहे। फार्म भरने, दस्तावेज तैयार करने में कर्मचारियों की दिखाई दी हर तरफ कमी। शोरगुल में निशक्तजनों की बात हो रही अनसुनी। ग्राम पंचायत बिलोचिया का पूरा स्टाफ में आया नजर, “चोर की दाढ़ी में तिनका” वाली बात साफ झलकती आई नजर, इन्ही वजहों से सरकार की भरपूर योजनाओं का लाभ आम जन तक नहीं पहुंच पा रहा। लेकिन क्या ऐसे बर्ताव किया जाता रहा तो दिव्यांग जन क्या हर किसी को सरकार की योजनाओं का लाभ मिलना मुश्किल हो जाएगा, जब विभाग द्वारा प्रेशित पत्र 4 दिसम्बर को किया गया तो इस शिविर का प्रचार प्रसार करना कर्मचारियों ने मुनासिब क्यों नहीं समझा,आखिर दिव्यांग जन से ऐसे भेदभाव क्यों?
क्या सरकार के आदेश चिकित्सा एव पंचायत राज स्टाफ के लिए कोई मायने नहीं रखते? या सरकार के कर्मचारियों का अहम इतना बढ़ा हुआ कि की सरकार भी कर्मचारी के आगे पंगु नजर आ रही है, लेकिन उचच पदों पर विराजमान अधिकारी चाहें तो सरकार की जन कल्याण की योजनाओं का लाभ मिलता रहेगा लेकिन जब सभी कर्मचारियों की अधिकारी वर्ग के साथ मिलीभगत हो तो कैसे भी आदेश जारी करती रहें सरकार, कर्मचारियों को कोई फर्क नही पड़ता, क्योंकि अक्सर यह मिलीभगत का ही नतीजा होता हैं जब सरकार की महत्वकांक्षी योजना की फाइल भी धूल फांकती रहती है जब तक निचले स्तर पर अधिक तर कर्मचारियों को सरकार के आदेशो को लेकर कोई भय नहीं हो।
जिसका ताजा उदाहरण श्रीविजयनगर में आयोजित शिविर का अव्यवस्थाओ का भेंट चढ़ना। कैसे कहे कि राजस्थान सरकार के आदेश निचले स्तर पर अधिकारी कर्मचारियों द्वारा अमल में लाए गए होंगे।
[स्रोत- सतनाम मांगट]