श्री गुरु नानक खालसा कालेज में छात्रों का कॉलेज प्रशासन से विवाद बढ़ता जा रहा है। कालेज प्रशासन द्वारा छात्रों को प्रताड़ित करने के कारण कालेज छात्र संगठनों ने पुरजोर विरोध करते हुए अपनी मांगों लेकर धरना लगा दिया है।
SFI कार्यकर्ताओ ने अनशन शुरू किया है। छात्र नेता गुरदित्ता सिंह को कॉलेज प्रशासन ने निलंबित, कर दिया था। जिससे SFI द्वारा निलम्बन वापिस लेने की मांग की जा रही है। सुरजीत सिंह मान, कमल हीरे जैसे छात्र नेताओं के साथ ही कई अन्य छात्र नेता भी आमरण अनशन पर बैठे हुए हैं लेकिन कॉलेज प्रशासन और सरकार द्वारा अभी तक किसी भी तरह की बातचीत की पहल नहीं हुई। जो अनशन और धरना प्रदर्शन रोक सके।
आमरण अनशन पर बैठे हुए छात्रों ने कॉलेज प्रशासन मुर्दाबाद, के नारे लगाने शुर कर दिए हैं। क्या उचित सुविधाओं के नाम पर कॉलेज बटोर रहे हैं मोटी रकम, क्या छात्रों के साथ कालेज बर्ताव सही है कि अगर कोई छात्र अनुचित तौर पर फीस वृद्धि और सुविधाओं के नाम पर मोटी रकम वसूल करने का विरोध करे तो उसको कॉलेज से निलंबित किया जाए।
क्या शिक्षा के नाम पर भी घटियापन का व्यापार किया जा ना उचित हैं और कब तक छात्र को पढ़ाई की जगह अपनी बात रखने के लिए भी आंदोलन का सहारा लेना पड़ेगा? क्योंकि जब नियम कायदे का कोई किसी कॉलेज पर असर नहीं है तो छात्रहित कैसे हो? आखिर क्यों कालेज प्रशासन द्वारा छात्रों से मनमानी की जा रही है?क्या छात्र आवाज़ उठाने का ऐसे ही अंजाम होगा? लेकिन अब तक सरकार और कॉलेज प्रशासन द्वारा छात्रों की बात नहीं सुनी जाने से आहत छात्रों ने आंन्दोलन का सहारा लेना उचित समझा तथा छात्र संघ एस एफ आई द्वारा छात्रों के समर्थन में आज देर रात से ही आमरण अनशन शुरू कर दिया गया है।
अनशन स्थल पर आधी रात में इस ठंड के समय छात्र नेता और छात्रों द्वारा कालेज प्रशासन की मनमानी करने पर अपना रोष प्रदर्शन किया। ठंड के समय रात 9 बजे अलाप जलाकर रात भर अनशन पर बैठ कर छात्र संघ दवा कॉलेज प्रशासन के समुख अपनी मांगों को मानने के प्रयास किये जा रहे हैं।
[स्रोत-सतनाम मांगट]