फिर भी

खेल और खिलाड़ी नहीं स्कूलों में, फिर भी…

भिलाई : छत्तीसगढ़ के भिलाई और जशपुर, खेल के क्षेत्र श्रेष्ठ माना गया है। जहाँ खिलाड़ियों की संख्या भी अधिक है, वहीं यहाँ से नये खिलाड़ी भी निकाले जा सकते हैं। परन्तु, स्कूलों में शिक्षक की व्यवस्था ऐसी हैं, जहाँ खेल तो हैं लेकिन, न खेल शिक्षक हैं, न ही, नये खिलाड़ी बन रहे हैं।Physical Education situation in bhilai chattisgarh यहाँ तक कि, स्कूली खेल, सिर्फ औपचारिकता बनकर ही रह जाती हैंं। इधर किसी स्कूल में खेल शिक्षक हैंं भी, वह किसी अन्य कार्य में लगा दिए जाते हैं।

यहाँ दिख रहा दम…बेटियाँ सीख रहीं आत्मरक्षा के गुर –

सोशल मीडिया, सरकारी उपक्रम, सभी जगहों पर बेटियाँ की सुरक्षा को लेकर कयास लगाते देखे जाते हैं। केंद्र और राज्य सरकारें की कार्य योजना बनाती दिखती हैं। संसद और विधानसभाओं में बेटियों पर अत्याचार के गुंज उठते हैं। पर क्या यहीं तक ही सिमट जाना चाहिए?

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छत्तीसगढ़ के दुर्ग जिला ताइक्वांडो संघ के सचिव एवं राष्ट्रीय रेफरी राकेश पुरी गोस्वामी के द्वारा एक नई पहल की जा रही है, जहाँ शा.उ.मा. विद्यालय टेमरी, हिर्री, नवागाँव, लिटीया, चिचा, बोरी, राजपुर, बरहापुर के लड़कियों को आत्मरक्षा करने की कला सिखाते हुवें उन्हे जागरूक करने का प्रयास! साथ ही इस कला को लगातार दैनिक दिनचर्या में सामिल करते हुए, जीवन का एक आयाम बनाने सलाह भी दी जा रही है।

[स्रोत- घनश्याम जी.बैरागी]

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