प्रस्तुत पंक्तियों में कवियत्री दुनियाँ को यह समझाने की कोशिश कर रही है कि भगवान कभी हमारे सामने ऐसेही नहीं प्रकट होते लेकिन कई बार जब हम परेशान होते है तो कोई न कोई भगवान बनकर हमारी सहायता करने ज़रूर आ जाता है।
अब आप इस कविता का आनंद ले
कोई न कोई अक्सर,
भगवान बनकर हमारे जीवन में आ जाता है।
नहीं है अकेले हम इस दुनियाँ में,
इस बात का एहसास कोई न कोई,
वक़्त-वक़्त पर हमे कराता है।
कोई तो बहुत कुछ पाकर भी खुश नहीं,
तो किसी का थोड़े से में ही पूरा पढ़ जाता है,
किसी का करा, किसी का भविष्य बन जाता है।
तो कोई दर-दर की ठोकरे खाकर,
इस दुनियाँ में अपना नाम कमाता है।
सहता तो हर कोई है इस दुनियाँ में,
पर कोई कहाँ खुल के अपनी बताता है?
अपनों के खातिर ही तो,
जीवन के पड़ावों में, हर कोई संघर्ष कर, आगे बढ़ता जाता है।
गुज़रते हुये हर पल में यहाँ बस यादो का साया रह जाता है।
वक़्त बीत जाता बस यूँ ही,
कोई तो अपने मन की बात भी, अपनों से नहीं कह पाता है।
धन्यावाद