प्रस्तुत पंक्तियों में कवियत्री दुनियाँ को यह समझाने की कोशिश कर रही है कि जीवन में सफलता यू ही नहीं मिलती धीरे-धीरे करके लोगो के जीवन में बदलाव आता है और वो जीवन की गहराइयो को और समझते है। महान लोगो के जीवन में भी उतना ही दुख होता है जितना की एक आम इंसान के जीवन में बस सबका अपने दुखो को लेने का तरीका अलग होता है बस यही एक बात है जो एक मानव को दूसरे मानव से अनोखा बनाती है।
अब आप इस कविता का आनंद ले।
धीरे धीरे करके सपनो का आशियाना बनता है।
किसी और के आशियाने को देख,
तू क्यों अपने को कम समझता है?
सबकी किस्मत सबकी मेहनत के दम पर ही निखरती है।
न समझे जो खुदकी कीमत,
उसकी खुशियाँ उसके द्वारा ही, एक-एक करके बिखरती है।
विश्वास रखो खुदपर, और बढ़ चलो आगे।
नाज़ुक जीवन के, नाज़ुक होते रिश्तों के धागे।
जो समझे खुदकी अहमियत,
उसकी किस्मत उससे एक कदम आगे है भागे।
टूट कर खुदमे पहले , फिर जाकर मानव अपनी असलियत को पहचाने।
सुख में लगते उसे, सब अपने बेगाने।
दुखो के रहते ही वो सही और गलत को पहचाने।
वैसे तो कोई गलत नहीं सब अपने में ही मद -मस्त रहते है।
अपने मन के विचारो पर वो किसी से कुछ नहीं कहते है।
दुनियाँ की बनाई विचार धाराओं पर,बिन कुछ सोचे समझे बहते है।
गलत बात सुन कर,न जाने क्यों उसे भी, चुप रह कर सहते है.
अपने हक़ में यारो, वो किसी से कुछ नहीं कहते है??
महान होकर भी यारो, वो आम आदमी के जैसे ही रहते है।
धन्यवाद