फिर भी

पुलिस व्यवस्था में सुधार की गुंजाइश

Indian Police

पुलिस को समाज का रक्षक कहा जाता है। समाज में हो रहे अपराधों की निष्पक्षता से जांच कर अपराधी के खिलाफ उचित कार्यवाही करना तथा समाज में लोगों के बीच रहकर शांति व्यवस्था बनाए रखना ही पुलिस का कर्तव्य होता है। परंतु पुलिस की छवि की बात करें तो वह कभी भी साफ सुथरी नहीं रही।

पुलिस में सिपाही से लेकर अधिकारियों तक की घूसखोरी और मनमानी की खबरें आए दिन अखबारों में चर्चा का विषय होती है, जिसने पूरे पुलिस तंत्र को दागदार कर दिया है। मैं यह नहीं कहती कि सभी पुलिसकर्मी घूसखोर, निठल्ले तथा कर्तव्यहीन है परंतु कहते हैं ना कि एक मछली सारे तालाब को गंदा कर देती है इसी तरह कुछ पुलिसकर्मियों ने पूरे प्रशासनिक तंत्र को लोगों की नजरों में दागदार बना दिया है।

पुलिस की बर्बरता-:

पूरे देश में किसी न किसी क्षेत्र में पुलिस की मनमानी और बर्बरता की खबरें आये दिन सामने आती है। कभी शांतिपूर्वक प्रदर्शन करने वाले लोगों पर लाठीचार्ज तो कभी इस हद तक कर्तव्यविहीन हो जाती है कि शर्म आने लगे। 2013 की एक घटना मुझे याद है जब कोटा शहर में पुलिस ने बच्चों के सरकारी अस्पताल की कमियों के खिलाफ प्रदर्शन करने आए लोगों पर बर्बरतापूर्वक कार्यवाही की थी, उनके बाल पकड़कर जीप में बैठाकर उन्हें लात घूंसों से मारा था। पुलिस की इस तरह की बर्बरता के पीछे चाहे राजनीतिक कारण हो या व्यक्तिगत परंतु लोगों का भरोसा पुलिस से पूरी तरह से उठ चुका है।

 पुलिस व्यवस्था में कहां है सुधार की गुंजाइश-:

1-: पुलिस व्यवस्था में आज बहुत खामियां हैं जिन्हें सुधारने की अत्यंत आवश्यकता है सर्वप्रथम पुलिसकर्मी पुलिस में भर्ती होते समय अपने पद के प्रति जिस कर्तव्य, सत्य निष्ठा एवं कर्मठ रहते हुए कार्य करने की शपथ लेते हैं उसका सच्चाई के साथ निर्वहन करें।

[ये भी पढ़ें : हर हिन्दुस्तानी को राष्ट्वादी बनने की जरूरत]

2-: पुलिस व्यवस्था राजनीतिक हस्तक्षेप से परे हो। पुलिस व्यवस्था में राजनीतिक दबाव इतना बढ़ गया है कि पुलिस अपने कर्तव्यों का ठीक से पालन ही नहीं कर पाती। राजनीतिक दबाव के कारण अपराधियों को छोड़ना, जनता पर लाठीचार्ज तथा बर्बरता इतनी अधिक बढ़ गई है कि पुलिस संवैधानिक कम राजनीतिक ज्यादा दिखाई देती है।

3-: पुलिस की कार्यप्रणाली आज भी 1861 के भारतीय पुलिस अधिनियम पर आधारित है जो पुलिस प्रशासन की देन थी, यह अधिनियम पुलिस को अधिक मनमानी करने के अवसर देता है इस अधिनियम में सुधार करने की आवश्यकता है।

4-: पुलिस में बढ़ते भ्रष्टाचार और घूसखोरी को रोकने के लिए पुलिसकर्मियों की सुविधाओं पर ध्यान दिया जाना चाहिए जैसे उचित व समय पर वेतनमान, आवास की व्यवस्था तथा प्रमोशन। हफ्ते में कम से कम एक छुट्टी और ड्यूटी का समय भी निर्धारित किया जाना चाहिए।

नोट – इस आर्टिकल का उद्देश्य किसी भी पुलिस महकमे पर कीचड़ उछलना नहीं है. यह एक स्वतंत्र हिंदुस्तानी की महसूस की गयी घटनाये है, जो आये दिन होती रही है. 

Exit mobile version