फिर भी

रामसिहपुर पेट्रोल पम्प अव्यवस्थाओं का शिकार, न शौचालय व्यवस्था दुरुस्त, न पीने को पानी

ग्राहकों के साथ भी अव्यवहारिक सलूक
रामसिहपुर-(गंगानगर) यों कहने को तो पेट्रोलियम कम्पनियों ने जितने भी फ्यूल सेंटर खुलवाए हैं वे सभी अत्याधुनिक सुविधाओं से परिपूर्ण हैं, ताकि फ्यूल सेंटर पर काम करने वाले वर्करों से लेकर उपभोक्ताओं (ग्राहकों) तक किसी को भी असुविधा महसूस न हो। छाया की व्यवस्था और धूप-बरसात से बचने को शैड, पीने के स्वच्छ पानी का इन्तजाम, आपातकालीन खुला पानी, सुलभ शौचालय का होना ये सभी ऐसे स्थान की प्रमुखता की जरूरतें है। एक नज़र किसी भी पेट्रोल पम्प पर ये सुविधाएँ निशुल्क हर हाल में मिलनी ही चाहिए, जैसे यह अधिकार बताया है कि चाहे वह पेट्रोल पम्प किसी भी कंपनी का क्यों न हो

निम्न बातो की पूर्ति करता हो-
1. वाहन में नि:शुल्क हवा
2. पीने का पानी
3. शौचालय
4. किसी भी चोट या घाव के मामले में प्राथमिक चिकित्सा बॉक्स
5. शिकायत रजिस्टर करने के लिए शिकायत बॉक्स
6. आग से बचने के लिए अग्निशमन यंत्र और रेत बाल्टी जैसे सुरक्षा उपकरण
7. तेल की कीमतें और काम के घंटे
8. ग्राहकों की सुविधा के लिए, तेल कंपनी के कर्मियों के फोन नंबर के साथ स्टेशन मैनेजर के लाइसेंस, नाम और फोन नंबर का किसी दीवार आदि पर लिखा जाना चाहिए। लेकिन श्रीगंगानगर जिला के रामसिंहपुर में भारत पेट्रोल पंप पर ऐसे कुछ भी नहीं पाया है जो उपरोक्त सभी नागरिक अधिकारों से मेल खाता हो।

आज स्थानीय कस्बे रामसिहपुर के तीर्थ नागपाल के फ्यूल सेंटर पर अजीब नजारा देखने को मिला।फ्यूल स्टेशन(मुरली प्रसाद/दुर्गा दास)रामसिंहपुर में स्थित है पेट्रोल-डीजल लेने वालों की कुछ भीड़ देखकर मैने गाड़ी साइड मे लगाई और सोचा इतने में लघुशंका निब्ट लिया जाए, तो मै शौचालय की ओर बढ़ा ।

शौचालय नहीं के समान था,शौचालय के बाहर भी कचरा पड़ा था और अंदर तो मत पूछो जैसा बदबूदार दृश्य था। बिना लघुशंका किए लौटना पड़ा।सोचा तेल लेने वालों की लाईन लगी हुई, इतने में पानी पी लूं, वहां पीने को स्वच्छ पानी भी न मिला क्योंकि दीवार पर केवल नल लगा था उसमें पानी नहीं आ रहा था।

इस पर मैने सेंटर के कर्मचारी को पानी के लिए कहा तो वह आगे से बोला -इतनी कौनसी लू चल रही जो पानी की जरुरत पड़ी है। मैने कहा भाई ढंग से बात करें, इस पर मुझे जवाब मिला हमें बोलना सिखाने आया है या पेट्रोल डलवाने!? मैने अंदर बैठे कर्मचारी से कहा तो वह बोला, भईया इसको पहले डालो और विदा करो। आ जाये हैं अपना काननू झाड़ने।

मैं फ्यूल सेंटर की व्यवस्था व ग्राहकों के प्रति ऐसे कटु व्यवहार को देखकर दंग रह गया। फ्यूल सेंटरों के तमाम तरह के खर्चे उपभोक्ताओं/ग्राहकों से हुई आमदनी से ही पेट्रोलियम कम्पनियां पूरे करती हैं, तो फिर उपभोक्ताओं/ग्राहकों के साथ फ्यूल सेंटरों पर अभद्र व्यवहार क्यों हो रहा है, और सुविधाओं से वंचित क्यों रखा जा रहा है।

आखिर सरकार किस बिनाह पे ऐसे पेट्रोल पंपों के संचालन पर आंखे मुद लेती हैं जो एक परसेंट भी निर्धारित मानकों पर खरा नहीं उतरता। क्या एक घणी आवादी के बीचों बीच स्थित पेट्रोल पंप पर सुरक्षा मानकों को ध्यान में नहीं रख सकते। अगर कोई हादसा हो जाए तो उसके लिए कौन जिम्मेदार होगा जब पेट्रोल पंप पर सुरक्षा व्यवस्था के पुख्ता प्रबंध नहीं हो जैसे कि रामसिंहपुर में भारत पेट्रोलियम पंप के हालात है।

लेकिन सरकार को क्या फर्क पड़ता है चाहे जनता मरती रहे या जनता की जेब कटती रहे। लेकिन कानून के तहत उपयुक्त सुविधाओं के बगैर पेट्रोल पंप संचलन बेईमानी ही लगता है। क्योंकि रामसिंहपुर के बीचों बीच स्थित भारत पेट्रोलियम के पम्प पर ऐसे अहर्तए बिल्कुल भी पूरी नहीं है।

[स्रोत- सतनाम मांगट]

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