वक़्त थमता नहीं कभी किसी के लिए,
समझ नहीं आता अब ज़िन्दगी को कैसे जिएं,
एक पल में हंसना, एक पल में रोना,
वक़्त ही सिखाता है, पाना और खोना,
ख्वाहिशें तो खूब होती है दिल में,
पर जरूरी है उससे पूरा करना।
आज देखो,वक़्त की बेड़ियों को,
जिसने बांध रखा है आज हर किसी को,
समय नहीं है किसी के पास,
टाटा गुडबाय होता है, आज हर किसी को।
एक चेहरे के पीछे दूसरा,
बस यही रह गया है दुनिया में,
दूसरों की परवाह कौन करता है,
यहां तो अपने ही नहीं है भीड़ में।
गुनाह करके मौज मना रहे हैं अपराधी,
और बेगुनाहों को सीखा रहे हैं ईमानदारी!
भ्रष्टाचार है आज हर जगह,
नेताओ को कब समझ आएगी उनकी ज़िमेदारी!
हज़ारों की जानो से बढ़कर है आज धन दौलत,
दिखता है बस पैसा, पैसा और शोहरत,
ख़त्म कब होगा यह अपराध,
दुनिया में फैला है पाप ही पाप।
लगता है दुनिया का विनाश निकट है,
नरक में जाने की सीधी टिकट है।
स्वर्ग जाने की होगी बात,
तो उसमे भी होगा भ्रष्टाचार।
होड़ लगेगी जाने की बात पर,
कोई कहेगा- पहले मैं
दूसरा कहेगा – यहां हूं में।
सब अपनी अपनी सिफारिश लगवाएंगे, गरीब और अपराध
और गरीब लोग बस हाथ मलते रह जाएंगे,
लगता है,स्वर्ग हासिल करने में भी पीछे छूट जाएंगे।
अमीर अपनी कुर्सी का रौब दिखाएंगे,
गरीबों को अपना नौकर बनाएंगे।
मैं पूछती हूं, कहां है वो लोग?
जो खुद को मानव का हिटकर्ता समझते है,
कहां है वो लोग?
जो देश में शांति फैलाने की बात करते हैं,
कहां हैं वो?
जो लोगो को न्याय दिलाने के लिए हैं,
कहां हैं वो?
जो खुद को गरीबों को रखवाला समझते हैं।
कहां हैं?
कहां हैं?
जो ज़िन्दगी को गरीबों के प्रति निर्छावर करने की बात करते हैं,
कहां हैं?
विशेष:- ये पोस्ट इंटर्न रमा नयाल ने शेयर की है जिन्होंने Phirbhi.in पर “फिरभी लिख लो प्रतियोगिता” में हिस्सा लिया है, अगर आपके पास भी है कोई स्टोरी तो इस मेल आईडी पर भेजे: phirbhistory@gmail.com