पुरानी पेंशन के हक के लिए सभी सरकारी कर्मचारीयों का नागपुर में सोमवार 18 दिसंबर 2017 को विधिमंडल के सामने अपने हक़ के लिये आक्रोश और मुंडन मोर्चे का आयोजन किया हैं.
कर्मचारियों की मुख्य मांगे-
1. 1 नवंबर 2005 और उसके बाद नियुक्त होने वाले सभी कर्मचारियों को पुरानी पेंशन सेवा 1982 और 1984 की निवृत्ती योजना लागू की जाए.
2. 1 नवंबर 2005 उसके बाद नियुक्त हुए मृत कर्मचारियों के परिवार को पुरानी निवृत्तीवेतन योजना 1982 और 1984 के तहत तुरंत लाभ दिया जाए.
3. 1 नवंबर 2005 से नियुक्त हुऐ सभी कर्मचारियों को मृत्यु और सेवानिवृत्ति योजनाओं का जल्द से जल्द लाभ दिया जाए.
4. 1 नवंबर 2005 और उसके बाद नियुक्त हुए कर्मचारियों पर अन्याय हो ऐसे कोई भी निर्णय शासन जारी ना करें .
महाराष्ट्र सरकार ने 1 नवंबर 2005 और उसके बाद नियुक्त किये हुए कर्मचारियों को 1982 और 1984 की पेंशन योजनाको बंद करके कर्मचारियों पर अन्याय करने वाली डीसीपीएस/एनपीएस योजना शुरू की है. इसके साथ ही सरकार की तरफ से नए-नए अन्याय कारक निर्णय लिए जाते हैं केंद्र सरकार अपने डीसीपीएस/एनपीएस धारकों को यह योजना लाभदायक नहीं होने की वजह से उत्तर प्रदेश, राजस्थान, उत्तराखंड ऐसे अनेक राज्यों ने अपने कर्मचारियों के कुटुंबीयों को निवृत्ती योजना 2009 लागू की गई है.
केंद्र सरकार ने 2016 मैं एन पी एस कर्मचारियों को सेवानिवृत्त और मृत्यु के बाद के सेवा देने का निर्णय लिया परंतु महाराष्ट्र सरकारने मृत्यु के बाद देने वाली सेवाएं छोड़कर10 साल के पहले मृत्यु होने पर10 लाख की पेंशन शुरू करने का आश्वासन देकर निवृत्ती वेतन देना टाल दिया.
सभी DCPS धारक कर्मचारीयों से निवेदन किया है कि 18 दिसंबर को नागपुर के विराट मौर्चे में हिस्सा ले. हमें पेंशन नहीं,पुरानी पेंशन लागू की जाए इसके लिए हमें संघर्ष करना होगा. संघर्ष करना है तो सिर्फ दो चार लोगों से काम नहीं चलेगा हमें एक साथ मिलकर यह लड़ाई लड़नी होगी. सरकारी नौकरी करते वक्त हम अपने परिवार के बारे में सोचते हैं, अपने परिवार को कैसे खुशियां दी जाए इस बारे में सोचते हैं. हमारे परिवार के लिए क्या अच्छा है इस बारे में सोचते हैं परिवार के हित के बारे में सोचते हैं. हम अपना जीवन अपने परिवार के लिए जीते हैं ऐसा कहा जाए तो गलत नहीं होगा, उसी परिवार के लिए हमें अपने जीवन से 1 दिन निकाल कर मोर्चा में शामिल होना होगा, जिससे कि हमारा भविष्य सुखमय हो हमें अपने अधिकार मिले इसीलिए अध्यक्ष ने सभी कर्मचारीयों से निवेदन किया है.
[स्रोत- धनवंत मस्तूद]