प्रस्तुत पंक्तियों में कवियत्री प्रभु से ये वादा कर रही है कि जीवन में चाहे कितने तूफान क्यों न आये वो कभी ईश्वर से नाराज़ नहीं होंगी क्योंकि जिन्हे हम ईश्वर मानते है वो जब धरती पर मानव रूप में आये थे तो उनके जीवन में काफी दु:ख होने के बावजूत भी उन्होंने कभी सही दिशा का साथ नहीं छोड़ा उन्होंने केवल अच्छी बातेही नहीं करी बल्कि उस रास्ते पर चल कर भी दिखाया इस कविता के माध्यम से कवियत्री ईश्वर से प्रार्थना कर रही है कि जीवन में कभी उनसे भूले से भी भूल होजाये तो ईश्वर उनपर अपनी करुणा द्रिष्टि बनाये रखे तो क्या हुआ अगर ईश्वर वक़्त-वक़्त पर अपने भक्तो की परीक्षा लेते है, परीक्षा लेकर फिर उसका अच्छा फल भी तो वो अपने भक्तो को देते है।
चलो मिलके आज ये वादा करते है तुझसे,
टूट के बिखर भी क्यों न जाये,
इस ज़िन्दगी में कभी, मुँह न मोड़ेंगे, हम तुझसे।
भूले से भी भूल जो होजाये मुझसे,
मुझ न समझ के प्रति रखना दया का भाव,
बस इतनी सी उम्मीद रखती हूँ मैं तुझसे,
तेरी करुणा का भंडार अपार है।
तुझसे मिलने का, हर व्यक्ति के मन में विचार है।
तेरी लीला तू ही जाने,
हमारी हर ख्वाहिश, तू आसानी से, कहाँ है माने।
जो जितना तड़पता, तू उसको उतनी खुशियाँ भी देता है।
तेरी अमानत जो हम सब के अंदर है।
उसे संभाले रखने का हिसाब,
तू हम सबसे लेता है।
पग-पग पे परीक्षा लेकर हमारी,
तू हमे दुनियाँ की सारी खुशियाँ भी देता है।
धन्यवाद।