फिर भी

जाना तो सबको ही है एक दिन

प्रस्तुत पंक्तियों में कवियत्री दुनियां को यह समझाने की कोशिश कर रही है कि ये सोचने की बात है की एक ही परिस्थिति एक इंसान को बहुत दुख देती है तो उसी परिस्थिति में दूसरा मानव आराम से रह पाता है

शायद इसलिए क्योंकि हर हाल में ये सोच पाना की हम यहाँ बस कुछ ही साल के मेहमान है ये बहुत मुश्किल होता है और हर इंसान एक सा नहीं होता किसीको किसीका बुरा कर ही सुकून मिलता है तो किसीको किसीका भला कर अब ये आप पर निर्भर करता है आप अपना जीवन कैसे जीना चाहते है क्योंकि जाना तो सबको ही है एक दिन।

अब आप इस कविता का आनंद ले।

किसीको दुख तो किसीको,
उसी परिस्थिति में सुख क्यों लगता है??
अपने को हर हाल में थामे,
क्या इंसान खुदको हर हाल में ये बता सकता है??
तेरी ये पहचान तो कुछ सालो में मिट जायेगी।
तेरे कर्मो की छवि बस याद बनकर,
लोगो के दिल में रेहजाएगी।
अपने अस्तित्व्य की पहचान,
हर आत्मा ही यहाँ बस लोगो को,
अपने कर्मो से करायेगी।
किसी की लगन उसकी पहचान बनकर,
हर युग में उसके गीत बन गुनगुनायेगी।
इस सच से क्यों दूर भागे ए मानव??
इस शरीर की सुंदरता एक दिन अग्नि में जलकर,
अस्थियां बन, पानी में बह जायेंगी।

धन्यवाद

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