प्रतीक्षा में हूँ तेरी, कर रहा हूँ प्रार्थना
तेरे धरती पर आने की, क्या है संभावना
व्याकुल है मेरी आँखे, बस तेरे ही दर्शन को
दर्शन तुम मुझको देकर अपना, धन्य करो मेरे जीवन को
धरती के इस आँगन में, कब बाल लीलाएं दिखलाओगे
हे कृष्ण तुम कब आओगे l
धूमिल हो रहा नाम प्रेम का, टूट रही मर्यादा है
ना ही मन में कृष्ण किसी के, ना ही मन में राधा है
तू ही आकर ये बता, प्रेम की क्या परिभाषा है
खो जाऊं तेरे प्रेम में मैं भी, मेरी यही अभिलाषा है
वृन्दावन की गालियों में, फिर कब रास रचाओगे हे
कृष्ण तुम कब आओगे l
कलयुग की घनघोर घटा, भूमण्डल पर छाई है
पतन हो चुका नैतिकता का, मानव दृष्टि भरमाई है
रक्तपात है चारो दिशा, अवरक्त हो गया अम्बर है
मानव रुपी इस दानव में, संतो जैसा आडम्बर है
दानव जैसे इन कंसो से, हमको कब मुक्त कराओगे
हे कृष्ण तुम कब आओगे l
माना है इस संसार में महावीर बड़े
पर हैं सब पितामह जैसे, आँखें मूंदे पड़े
पांडव जैसे वीरों ने भी, यहाँ पे मुंह की खाई है
द्रौपदियों की इस कलयुग में, लाज कहाँ बच पाई है
अशालीन दुःशासनो से कब, द्रौपदियों की लाज बचाओगे
हे कृष्ण तुम कब आओगे l
मोह माया के इस संसार में
लाखों अर्जुन बैठे है अंधकार में
बाहुबल है हाथों में, फिर भी कर्त्तव्य से मुख मोड़ रहे है
अज्ञानी बन बैठे है सारे, कर्मपथ को छोड़ रहे है
ज्ञानचक्षु तुम कब खोलोगे सबके, कब गीता का सार सुनाओगे
हे कृष्ण तुम कब आओगे l
नाश हो रहा धर्म का, बस यूँ ही युग बीत रहे है
पराजित हो रहे युधिष्ठिर, और दुर्योधन ही जीत रहे है
समय आ गया है तेरे आने का, धरती पर अब आजा तू
नाश कर दे तू अधर्म का, ये चमत्कार दिखलाजा तू
धर्म की संस्थापना का, तुम कब दीप जलाओगे
हे कृष्ण तुम कब आओगे
हे कृष्ण तुम कब आओगे
हे कृष्ण तुम कब आओगे l
विशेष:- ये पोस्ट इंटर्न वरुण शर्मा ने शेयर की है जिन्होंने Phirbhi.in पर “फिरभी लिख लो प्रतियोगिता” में हिस्सा लिया है, अगर आपके पास भी है कोई स्टोरी तो इस मेल आईडी पर भेजे: phirbhistory@gmail.com