अच्छी जिंदगी जीने के लिए सबको अच्छी और क्वालिटी की शिक्षा की जरूरत होती है। अधिकतर छात्र तकनीकी और प्रबंध के क्षेत्र के क्षेत्र में अपना भविष्य उज्जवल देखते हैं और इसी कारण इन विषयों की उच्चतम शिक्षा प्राप्त करना चाहते हैं। लेकिन सभी छात्र इस सपने को नियमित रूप से प्राप्त करने में असमर्थ होते हैं। ऐसे में सरकार ने उन छात्रों की समस्या को ध्यान में रखकर जो पढ़ने की इच्छा रखते हुए भी किसी शिक्षा संस्थान तक नहीं जा पते थे, पत्राचार पाठ्यक्रम की शुरुआत करी थी।
पत्राचार माध्यम से शिक्षा:
पत्राचार माध्यम से शिक्षा लेने के लिए छात्र किसी ऐसे शिक्षा संस्थान को जो इस कार्य के लिए मान्यता प्राप्त हो, प्रवेश लेते थे और संस्थान शिक्षा संबंधी सभी पुस्तकें और सामग्री डाक द्वारा छात्रों के पास पहुंचा देता था। कुछ पाठ्यक्रमों में छात्रों को कुछ क्लासेस में जाना होता था जिसे छात्र अनिवार्य समझ कर जाते थे और इस प्रकार अपनी पढ़ाई घर बैठे पूरी करते थे। इस प्रकार इस सुविधा का लाभ उठाकर लाखों छात्रों ने न केवल उच्च शिक्षा प्राप्त करी बल्कि अपने कैरियर को भी बुलंदियों पर पहुंचा दिया। लेकिन सुप्रीम कोर्ट के एक फैसले ने इन जैसे असंख्य छात्रों के भविष्य पर प्रश्न चिन्ह लगा दिया है।
सुप्रीम कोर्ट का फैसला:
सुप्रीम कोर्ट ने एक ऐतिहासिक फैसले में कहा है की अब से तकनीकी शिक्षा और प्रबंध संबंधी पाठ्यक्रम को पत्राचार माध्यम से नहीं किया जा सकेगा। सर्वोच्च न्यायालय ने उन सभी शिक्षण संस्थानों से कहा है की अब इंजीनियरिंग जैसे पाठ्यक्रम पत्राचार या दूरस्थ माध्यम से शुरू नहीं किए जाएँगे। इस फैसले के पीछे न्याय पालिका का यह तर्क है की नियमित पढ़ाई न होने के कारण जो छात्र पत्राचार या दूरस्थ माध्यम से तकनीकी शिक्षा प्राप्त करते हैं उन्हें विषय से संबन्धित पूर्ण व अच्छा तकनीकी प्रायोगिक ज्ञान नहीं होता है।
[ये भी पढ़ें: अब लड़को को भी अनिवार्य विषय के रूप में पढ़ना होगा गृह विज्ञान]
क्या है पंजाब और हरियाणा का फैसला:
इस संबंध में दो वर्ष पूर्व पंजाब और हरियाणा की कोर्ट ने एक फैसले में कहा था की जो छात्र कंप्यूटर की पढ़ाई नियमित छात्र के रूप में नहीं करेंगे या फिर पत्राचार माध्यम से करेंगे उनकी पढ़ाई नियमित रूप से करने वाले छात्रों के समान नहीं मानी जाएगी। इस प्रकार सुप्रीम कोर्ट के आज आए फैसले से पंजाब और हरियाणा कोर्ट के फैसले पर स्वीकृति की मुहर लग गई।
छात्रों के भविष्य पर प्रभाव:
इस फैसले से ओड़ीशा सरकार का फैसला भी खारिज हो जाता है जिसमें तकनीकी शिक्षा को पत्राचार के माध्यम से करने की अनुमति प्रदान करी हुई है। इस प्रकार जितने भी टेक्निकल कोर्स हैं जैसे इंजीनियरिंग, मेनेजमेंट, फार्मेसी, मेडिकल आदि किसी भी पाठ्यक्रम को पत्राचार के माध्यम से अब नहीं किया जा सकता है। जिस समय यह कोर्स पत्राचार या डिस्टेन्स लर्निंग से शुरू किए गए थे, तो इन्हें पहले अखिल भारतीय तकनीकी परिषद से इस संबंध में अनुमति लेना अनिवार्य था।
लेकिन अब क्यूंकी यह सुविधा सुप्रीम कोर्ट के आदेश के कारण समाप्त हो रही है तो क्या होगा उन असंख्य छात्रों के सपनों का जो अपने जीविका को चलाते हुए एक कंप्यूटर इंजीनियर, एक इंजीनियर या किसी ऊंची कंपनी में प्रबन्धक बनना चाहते थे। क्या किसी के पास इन सवालों के जवाब हैं।!!!!