फिर भी

तुमने हमसे कुछ न छुपाया

प्रस्तुत पंक्तियों में कवियत्री दुनियाँ को यह समझाने की कोशिश कर रही है कि हर जाती धर्म की किताबे कर्म को प्रधान मानती है चाहे ईश्वर हो अल्लाह हो जीसस, वाहेगुरु या बुद्धा किसी ने भी हमे कभी कोई गलत शिक्षा नहीं दी फिर भी क्योंकि हम इंसान उन किताबो को गलत समझ उन बातो पर अमल नहीं कर पाते फिर प्रभु से शिकायते करने लगते है जो की बिल्कुल ही गलत व्यवहार है।Godकवियत्री इस कविता के माध्यम से ईश्वर से ये कहने की कोशिश कर रही है कि हे प्रभु ये हमारी गलती है हम आपको और आपकी बातो को समझ नहीं पाते या समझ कर भी कभी-कभी जीवन में उतार नहीं पाते क्योंकि आपने तो कभी हमसे कुछ भी नहीं छुपाया आपने कभी हमे अँधेरे में नहीं रखा आपकी बाते जीवन में उतारने में भले ही वक़्त ज़रूर लगता है लेकिन सुकून भी वही से ही मिलता है। ये दुनियाँ आपकी ही बनाई हुई एक बगिया है जहाँ हम सब बस कुछ पल के मेहमान है।

अब आप इस कविता का आनंद ले।

किस बात पर शिकवा करू मैं तुमसे,
तुमने तो हमसे कुछ न छुपाया।
दिखा कर हर बार सही मार्ग का रास्ता,
जीवन का गहरा सच, तुमने हमे पल पल है बताया।
हम ही उसे सुन न सके,इसमें गलती हमारी है।
ये हसीन दुनियाँ की बगिया ,
हमारी नहीं ये तो केवल तुम्हारी है।
कुछ पल ही तो हम इस हसीन बगिया में रहते है।
अपने दुख सुख की बातें,
हम अक्सर तुमसे हितों कहते है।
नदियाँ का पानी बन,
हम हर पल ,यहाँ समय की सुई के संग ही तो बहते है।
अपने दुखो को भी, हे प्रभु हम तुम्हारे संग, ख़ुशी से सहते है।

धन्यवाद

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