फिर भी

निंदा करने वाला भी अच्छा है

प्रस्तुत पंक्तियों में कवियत्री दुनियां को यह समझाने की कोशिश कर रही है कि कभी-कभी निंदा करने वाला व्यक्ति भी हमे सही दिशा दिखा देता है लेकिन अब ये हम पर निर्भर करता है हम उसकी बातो को कैसे ले हम ये भी सोच सकते है की ये बात-बात पर टोकता है हमे हमारे मन का करने नहीं देता उदाहरण के तौर पर हम माता पिता की डाट को ले सकते है कोई भी माता पिता अपने बच्चो का बुरा नहीं चाहते लेकिन कभी-कभी उनकी सही बात भी बच्चो को बुरी लगती है। दोस्तों याद रखना गुस्सा अगर सही दिशा दिखने के लिए करा जाये तो वो गुस्सा भी बहुतो का भला कर देता है। तुम्हारा दोस्त और तुम्हारा दुश्मन दोनों ही तुम्हारे अंदर वास करते है।My Alone Thoughts

अब आप इस कविता का आनंद ले।

निंदा करने वाला भी,
कभी-कभी सही दिशा दिखा देता है।
हमारे अंदर ही पनपे अहम के बीज को,
वो अपनी बातो से जला देता है।
अब ये तो तुम पर निर्भर करता है.
तुम किसीकी बात को कैसे लेते हो.
उसे समझते, या उसे पलट कर कुछ भी कह देते हो।
आसान है दूसरों को समझाना।
मगर मुश्किल है बहुत ही मुश्किल,
खुद के अंतर मन में झाँक,
हर वक़्त खुदकी गलतियो पर खुदको समझाना।
तुमसे कही दूर नहीं,
तुम्हारे अंतर मन में ही कही छुपा,
तुम्हारा सबसे कीमती खज़ाना।

धन्यावाद।

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