इनकम टैक्स रिटर्न और परमानेंट अकाउंट नंबर यानि पैन के लिए आधार कार्ड को अनिवार्य बनाने के सरकार के फैसले के बाद इसको वित्तीय लेनदेन के लिए जरूरी नंबर बनाने की दिशा में एक और कदम बढ़ा दिया गया है. सरकार पूरे वित्त लेनदेन सेक्टर में आधार कार्ड आधारित केवाईसी को इंटीग्रेट करने पर विचार कर रही है.
यानि अगर आपका पैन कार्ड को आधार कार्ड से नहीं जोड़ा है तो हो सकता है कि 31 दिसबंर के बाद यह वैध नहीं रहेंगे. सरकार रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया सहित सभी रेग्युलेटर्स के साथ सोच विचार में जुटी है. दरअसल आधार कार्ड केवाईसी एक तुरंत, इलेक्ट्रॉनिक और मजबूत प्रमाण उपलब्ध कराता है, जिससे सेवा उद्योग की प्रक्रिया अच्छा बनाने में मदद मिलेगी.
जिन लोगों के पास पहले से आधार कार्ड मौजूद है, उन्हें किसी भी फाइनैंशल इंटरमीडियरी को अपने अंगूठे का निशान उपलब्ध कराना होगा, जिससे संबंधित सेक्टर की रिपोर्टिंग एंटिटि को दी जाएगी, जिसे UIDAI डेटाबेस से वैलिडेट करेगी.
डेटा के आधार पर सेंट्रल रजिस्ट्री ऑफ सिक्यॉरिटाइजेशन एंड ऐसेट रिकंस्ट्रक्शन एंड सिक्यॉरिटी इंट्रेस्ट ऑफ इंडिया यानि CERSAI की ओर से एक यूनिक C-KYC नंबर जनरेट किया जाएगा, जिसका इस्तेमाल बैंक अकाउंट, म्यूचुअल फंड इन्वेस्टमेंट, डीमैट अकाउंट और इंश्योरेंस पॉलिसी सहित सभी वित्तय प्रॉडक्ड्स में किया जा सकेगा.
वित्त मंत्री अरुण जेटली ने कहा था कि देश में 98 प्रतिशत व्यस्कों यानि 108 करोड़ से अधिक लोगों को आधार नंबर जारी हो चुका है, और यही कारण है सरकार इसका इस्तेमाल बढ़ा रही है, जेटली ने यह भी कहा की इनकम टैक्स रिटर्न दाखिल करने और पैन कार्ड के लिए आधार को अनिवार्य बनाने के प्रस्ताव को दोबारा विचार करने की संसद की मांग को खारिज कर दिया था.
CERSAI ने पिछले साल सभी वित्तीय संस्थानों में एक समान केवाईसी प्रोसेस सुनिश्चित करने के लिए e-KYC की कोशिश शुरु की थी, 2016 में मार्केट रेग्युलेटर सेबी ने आधार बेस्ड e-KYC को अपनी इच्छा से अपनाने पर सहमति दी थी. सभी सरकारी बैंकों से भी इस तरह का अपडेटेड डेटा अथॉरिटी को उपलब्ध कराने का निर्देश दिया है.