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नई दिल्ली: रूस ने यूक्रेन के खिलाफ व्यापक पैमाने पर सैन्य कार्रवाई शुरू कर दी

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रूस ने गुरुवार की सुबह-सुबह यूक्रेन के खिलाफ व्यापक पैमाने पर सैन्य कार्रवाई शुरू कर दी| वर्ष 1991 में रूस के नेतृत्व वाले सोवियत संघ के पतन से पहले यूक्रेन भी इसका एक घटक था। रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन द्वारा यूक्रेन के खिलाफ युद्ध छेड़ना अमेरिका के प्रभुत्व वाले उत्तरी अटलांटिक संधि संगठन (NATO) को धक्का देने की एक कोशिश है, जो उनके पड़ोस पूर्वी यूरोप में तेजी से अपना विस्तार कर रहा है।

रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन ने एक टेलीविजन संबोधन में यूक्रेन का विसैन्यीकरण (Demilitarization) करने के लिए सैन्य अभियान (Military Operation) की घोषणा करते हुए चेतावनी दी कि इस मामले में “हस्तक्षेप” करने वालों को ऐसा परिणाम भुगतना पड़ेगा, जिसका उन्होंने इससे पहले कभी सामना नहीं किया होगा। वहीं अमेरिका और ब्रिटेन सहित अन्य पश्चिमी शक्तियों ने चेतावनी दी कि इस युद्ध के लिए दुनिया रूस को जवाबदेह ठहराएगी।

वहीं, कुछ देशों ने रूस का समर्थन किया है, जबकि कुछ ने अधिक सतर्क रुख अपनाया है। जैसा कि यूक्रेन पर रूसी आक्रमण ने विश्व के बाजारों को हिलाकर रख दिया और एक बड़े पैमाने पर युद्ध की आशंकाओं को जन्म दिया है, जिसमें कई राष्ट्र शामिल हो सकते हैं| यहां हम एक नजर डालते ​हैं कि इस तेजी से बढ़ते संघर्ष में कौन सा देश कहां खड़ा है और आगे क्या करने वाला है।

अमेरिका

नाटो के सबसे शक्तिशाली सदस्य के रूप में, यूक्रेन और रूस के बीच जारी संघर्ष में आगे क्या होता है और कैसे होता है, इसकी कुंजी अमेरिका के पास है| आपकी जानकारी के लिए बता दें अमेरिका ने रूस की इस मांग को खारिज कर दिया है कि यूक्रेन को नाटो का सदस्य नहीं बनना चाहिए| रूस को तेज और गंभीर परिणामों की चेतावनी देते हुए, अमेरिका ने कीव में हथियारों की खेप और अपने सैनिकों की उपस्थिति बढ़ा दी है| यूक्रेन पर रूस के हमले को “अकारण और अनुचित” बताते हुए अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडेन ने अपने यूक्रेनी समकक्ष वोलोदिमीर जेलेंस्की से बात की|

यूनाइटेड किंगडम

ब्रिटेन यूक्रेन का समर्थन करता है| प्रधानमंत्री बोरिस जॉनसन ने फरवरी 2022 में यूक्रेनी राष्ट्रपति वोलोदिमीर जेलेंस्की से मुलाकात की थी| उन्होंने रूस को युद्ध की मानवीय लागत के खिलाफ चेतावनी दी है. आक्रमण के तुरंत बाद बोरिस जॉनसन ने कहा कि वह यूक्रेन में “भयानक घटनाओं” से स्तब्ध हैं. उन्होंने कहा, ”रूसी राष्ट्रपति पुतिन ने यूक्रेन पर इस अकारण हमले की शुरुआत करके रक्तपात और विनाश का रास्ता चुना है. ब्रिटेन और हमारे सहयोगी निर्णायक जवाब देंगे” बोरिस जॉनसन ने पुतिन के कुछ सहयोगियों और रूसी बैंकों पर प्रतिबंधों की घोषणा की है| लेकिन ब्रिटेन रूस के पैसे वाले लोगों के लिए एक आश्रय स्थल है, और मौजूदा संकट में रूस के प्रति ब्रिटिश सरकार के दृष्टिकोण को प्रभावित करने का सह एक बड़ा कारण हो सकता है.

जर्मनी

यूक्रेन संकट को लेकर रूस के ​प्रति जर्मनी का दृष्टिकोण अधिक सतर्क है| क्योंकि जर्मन चांसलर ओलाफ स्कोल्ज़ के सोशल डेमोक्रेट्स ने पारंपरिक रूप से रूस के साथ तालमेल को बढ़ावा दिया है| यूरोप की सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था जर्मनी ने हाल के वर्षों में मॉस्को के साथ अपने व्यापार और ऊर्जा संबंधों का विस्तार किया है| जर्मनी ने अब रूस को जर्मनी से जोड़ने वाली एक पाइपलाइन पर काम रोक दिया है| यूक्रेन पर आक्रमण के बाद, जर्मनी गैस आपूर्ति को लेकर रूस पर अपनी निर्भरता के बारे में व्यापक पुनर्विचार कर रही है|

यूरोपियन यूनियन

यूरोपीय यूनियन के चीफ उर्सुला वॉन डेर लेयेन ने यूक्रेन पर रूस के हमले की निंदा की है और उसे जवाबदेह ठहराने की कसम खाई है. ईयू प्रमुख उर्सुला वॉन डेर लेयेन ने ट्विटर पर लिखा, ”हम यूक्रेन पर रूस के अनुचित हमले की कड़ी निंदा करते हैं| इस अंधेरे की घड़ी में, हमारे विचार यूक्रेन और वहां की निर्दोष महिलाओं, पुरुषों और बच्चों के साथ हैं. क्योंकि वे इस अकारण हमले का सामना कर रहे हैं और जान की जोखिम का सामना कर रहे हैं| हम क्रेमलिन को इसके लिए जवाबदेह ठहराएंगे”|

चीन

चीन ने रूस पर लगे आर्थिक प्रतिबंधों को “अवैध” बताते हुए अमेरिका और पश्चिमी देशों के इस कदम का विरोध किया है| इस संकट के शांतिपूर्ण समाधान के आह्वान को दोहराते हुए यूक्रेन पर “तनाव बढ़ाने” के लिए अमेरिका को दोषी ठहराया है| दरअसल, चीन रूस और पश्चिमी देशों के साथ संतुलन बनाकर चलना चाहता है| यूक्रेन पर रूसी आक्रमण का समर्थन करने से पश्चिमी देशों के साथ चीन के संबंध खराब होंगे|

लेकिन वह रूस के साथ अपने बढ़ते संबंधों को भी बढ़ावा देना चाहता है| इसलिए चीन ने सभी पक्षों से संयम बरतने को कहा है| चीन ने अमेरिका से यह भी कहा है कि रूस की “वैध सुरक्षा चिंताओं” को स्वीकार करते हुए इस संकट को बातचीत के माध्यम से हल किया जाना चाहिए| चीन नाटो के विरोध में रूस का समर्थन करता है, क्योंकि दोनों देश अमेरिकी प्रभाव का मुकाबला करने का प्रयास करते हैं|

भारतवै

भारत ने रूस और यूक्रेन के बीच तनाव को तत्काल कम करने का आह्वान किया है और आगाह किया है कि इस स्थिति के एक बड़े संकट में तब्दील होने का खतरा है| भारत ने इस स्थिति से संबंधित सभी मुद्दों के समाधान के लिए कूटनीतिक रास्ता अपनाने पर जोर दिया है| भारत ने उन घटनाक्रमों पर भी अपनी गहरी चिंता व्यक्त की है, जिनको अगर सावधानी से नहीं संभाल गया तो ये घटनाक्रम क्षेत्र की शांति और सुरक्षा को कमजोर कर सकते हैं|

भारत की चिंता इस तथ्य से भी उपजी है कि छात्रों सहित लगभग 20,000 भारतीय नागरिक यूक्रेन और उसके सीमावर्ती क्षेत्रों में फंसे हुए हैं. एक सरकारी अधिकारी ने कहा, “हम भारतीय छात्रों सहित सभी भारतीय नागरिकों की सुरक्षित वतन वापसी के लिए जरूरी सुविधाएं प्रदान कर रहे हैं.” रूस ने कहा है कि संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में यूक्रेन संकट को लेकर भारत का रुख दोनों देशों के बीच विशेष और विशेषाधिकार प्राप्त रणनीतिक साझेदारी की योग्यता को पूरी तरह से दर्शाता है|

पूर्व में सोवियत संघ में शामिल रहे देशों का रुख बुल्गारिया, एस्टोनिया, लातविया, लिथुआनिया, रोमानिया, स्लोवाकिया और स्लोवेनिया जो सोवियत संघ का हिस्सा थे, 2004 में नाटो के सदस्य बने| वे स्वाभाविक रूप से यूक्रेन में रूस की कार्रवाइयों का विरोध कर रहे हैं| बेल्जियम ने वास्तव में, यूक्रेन पर रूस के हमले को द्वितीय विश्व युद्ध के बाद से यूरोप के इतिहास में सबसे काला समय कहा है|

पाकिस्तान

रूस के यूक्रेन पर हमले के बाद मॉस्को में पुतिन के साथ पाकिस्तान के प्रधानमंत्री इमरान खान की बैठक ने मजबूत वैश्विक प्रतिक्रियाओं को जन्म दिया है| अमेरिका ने इमरान खान की पुतिन के साथ मुलाकात पर प्रतिक्रिया देते हुए कहा है कि यूक्रेन में रूस की कार्रवाई पर आपत्ति जताना हर ‘जिम्मेदार’ देश की जिम्मेदारी है| अमेरिका ने यूक्रेन की स्थिति और युद्ध पर कूटनीति को आगे बढ़ाने के प्रयासों पर पाकिस्तान को अपनी स्थिति से अवगत करा दिया है|

इमरान खान ने पुतिन के साथ आर्थिक और क्षेत्रीय सुरक्षा सहयोग और तालिबान नियंत्रित अफगानिस्तान में उनकी आपसी चिंताओं सहित मुद्दों पर चर्चा की| पूर्वी यूक्रेन में रूसी सैनिकों के प्रवेश के बाद इमरान खान, व्लादिमीर पुतिन से मिलने वाले पहले विदेशी नेता हैं| इमरान खान की मॉस्को यात्रा 23 वर्षों में किसी पाकिस्तानी प्रधानमंत्री का पहलारूस दौरा है, जो रूसी नेता के कार्यों का एक निहित समर्थन है|

आदेश शुक्ला फिर भी न्यूज़

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