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मुजफ्फरनगर ट्रेन हादसा: जातिवाद भूल सभी ने मिलकर की मदद

भारत में जहां आये दिन दंगे और जातिवाद को लेकर लड़ाई देखने को मिलती हैं तो वही मुजफ्फरनगर के खतौली में हुए कलिंग-उत्कल एक्सप्रेस हादसे के बाद आस-पास के गाँवो के लोगो ने एक नई मिसाल कायम कर दी हैं. जी हाँ दोस्तों हादसे के बाद चीख पुकार सुनकर आस पास के लोग भागे चले आये और जातिवाद को भूल सभी ने मिलाकर लोगो को बचाने का कार्य शुरू कर दिया.Muzaffarnagar[Image Credit : ANI]

लोगो ने बचाव कार्य के लिए प्रशासन का भी इंतज़ार नहीं किया, उसने अपनी और से जितना हो सकता उससे ज्यादा किया. घायलों को ट्रेन की खिड़कियां तोड़कर-तोड़कर बाहर निकाला. गांव वालो का साथ मिलाकर काम करना ये एक मिसाल से काम नहीं हैं. इतना ही नहीं बचाव कार्य निपटने तक गांव के लोगो ने वहां रुके और प्रशासन की टीमों के खाने व चाय की व्यवस्था भी की.

रातभर प्रशासन के साथ मिलकर किया कार्य

गांव के लोगो ने रातभर जागते हुए बचाव कर्मियों के साथ मिलकर मदद की और खुद भी ट्रेन के डिब्बों में घुस-घुस कर फंसे लोगो बाहर निकला. यह ऐसा इलाका हैं जहां हिन्दू और मुस्लिम दोनों रहते हैं और दोनों ही समुदायों के बीच बहुत ही अच्छा तालमेल देखने को मिला.

पास के इण्टर कॉलेज और कई घरो को भी काफी नुक्सान

यह हादसा पिंटू (जिनके घर को काफी नुक्सान हुआ है) ने अपने आँखों से देखा. उन्होंने बताया कि हादसा इतना भीषण रहा कि ट्रेन के डिब्बे हवा में इस प्रकार उछले कि मानो कोई फिल्म कि शूटिंग चल रही हो और पिंटू के घर में एक डिब्बा जा घुसा और साथ ही चौधरी तिलक राम इण्टर कॉलेज को भी काफी नुकसान हुआ. जब ट्रेन हादसा हुआ तब पिंटू, उनके माता-पिता घर के बाहर बैठे हुए थे. इस हादसे में पिंटू के पिता कि पैर की हड्डी टूट गयी.

प्रशासन और रेलवे विभाग की रही लापरवाही

पिंटू और उनके गांव वालो ने काफी समय से इस खराब पटरी को लेकर रेलवे कर्मचारीयों को सूचित कर रखा था. पहले भी कई हादसे होने से बच गए मगर किसी ने कोई कदम नहीं उठाया. 19 अगस्त को रेलवे कर्मी पटरी की मरम्मत के लिए आये और बिना किसी चेतावनी बोर्ड को लगाए बिना कार्य करने लगे.

अगर चेतावनी बोर्ड होता तो टल जाता हादसा

रेलवे कर्मी पटरी की मरम्मत बिना किसी चेतावनी बोर्ड लगाए करने लगे, जहां ट्रेन की स्पीड 15 होनी चाहिए थी, वहाँ ट्रेन की स्पीड 105 थी. सवाल ये उठता है कि जब मरम्मत कार्य चल रहा था तो कोई चेतावनी बोर्ड क्यों नहीं लगाया और साथ ही ये भी सवाल पैदा होता हैं, मरम्मत कार्य के दौरान ट्रेन को आगे जाने का सिंगनल क्यों दिया गया.

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