फिर भी

आँखों में नमी

प्रस्तुत पंक्तियों में कवियत्री दुनियां को यह समझाने की कोशिश कर रही है कि किसीकी आँखों से आँसू यू ही नहीं निकलते तड़पता है दिल किसीका फिर खुदको हल्का महसूस कराने के लिए इंसान आँसुओ का सहारा लेता है।

कभी-कभी हम गलत भी नहीं होते फिर भी हमारी सीधीसी बात भी बहस में बदल जाती है ऐसी परिस्थितियों से बचने के लिए कवियत्री ये सोचती है उससे उलझो ही मत जो तुम्हे समझना नहीं चाहता क्योंकि खुशियों की चाबी तुम्हारे पास है अपने पर नियंत्रण पाकर तुम खुदको जन्मो जन्मांतर तक खुश रख सकते हो.

अब आप इस कविता का आनंद ले।

आँखों में नमी,
बताती किसी चीज़ की कमी।
वो नमी तो कमी बन,
आँखों से झलक आती है।
सही बात भी कहकर,
एक सीधी सी बात भी यहाँ,
बहस में बदल जाती है।
मत उलझो उससे जो तुम्हारी,
सुनना भी नहीं चाहता।
अपने पर नियंत्रण पाकर ही,
इंसान इस दुनियाँ की सारी,
खुशियों को है पाता।
संघर्षो से गुज़र कर ही इंसान,
इस बात की गहराई को है समझ पाता।

धन्यवाद

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