दलित राजनीति की पूरोधा, भारतीय राजनीति में अपना विशेष दखल रखने वाली बहुजन समाज पार्टी की अध्यक्ष सुश्री मायावती जी का जन्म 15 जनवरी 1956 को हुई । इनके पिता प्रभु दास एक डाककर्मी थे ।
इनकी मां एक अशिक्षित महिला थी लेकिन शिक्षा के महत्व को वह बखूबी जानती थी। इसलिये अपने संतानों को ऊँची शिक्षा ग्रहण करने के लिए प्रेरित किया। जिसके फलस्वरूप सुश्री मायावती ऊँची शिक्षा ग्रहण कर अपने माता-पिता के अरमानों को पंख लगाने की ठानी फिर क्या था एक से बढ़कर एक डिग्रियाँ अर्जित की।
मायावती नें 1975 में बी•ए करने के बाद कुछ समय के लिए भारतीय प्रशासनिक सेवा सबंधी प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारी की एवं 1976 में बीएड करने के बाद कुछ वर्षों के लिए शैक्षणिक क्षेत्रों में भी अपना भाग्य आजमाया ।
मायावती के जीवन में स्थायित्व तब आया जब वे 1977 में कांशीराम के संपर्क आई और राजनीति से जुड़ने का निर्णय लिया। मायावती सक्रिय राजनीति में आने के बाद 1983 में एलएलबी की डिग्री हासिल की।
मायावती की राजनीतिक सक्रियता तब बढ़ गई जब कांशीराम ने उन्हें अपना उत्तराधिकारी घोषित कर बहुजन समाज पार्टी की बागडोर उनके हाथों में सौंप दिया। तत्पश्चात अविवाहित मायावती ने अपने नेतृत्व क्षमता के बल पर इस पुरूष प्रधान समाज में अपनी पहचान बनाकर उस तथ्य को निराधार साबित कर दिया कि स्त्रियों की पहचान पुरूषों के बूते संभव हैं ।
इस दलित महिला ने चार बार उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री बनने का गौरव हासिल की । साथ ही मुख्यमंत्री बनने वाली प्रथम भारतीय दलित महिला होने का रिकॉर्ड दर्ज की। राजनीति में नारी सशक्तिकरण की सबसे बड़ी मिशाल कायम करने वाली “बहन जी” को उनके जन्मदिन के अवसर पर शुभकामना सहित हार्दिक बधाई ।
[स्रोत- संजय कुमार]