फिर भी

शादी – एक जन्मों जन्मांतर का रिश्ता

shadi ek janmo janmantar ka bandhan poerty

प्रस्तुत पक्तियों में कवियत्री समाज से याचना कर रही हैं कि वह शादी की गहराई को समझे, शादी दो इंसानो की नहीं होती, बल्कि दो परिवारों की होती हैं।

यह एक कार्यक्रम नहीं है जो बस कुछ दिन तक ही चलता हैं. अपितु ये तो जन्मों जन्मांतर का बंधन हैं। शादी में सबसे ज़्यादा ज़रूरी है कि दोनों पक्ष एक दूसरे की परेशानियों को समझें, अगर लड़की अपना घर छोड़ती हैं, तो लड़के पर भी कई ज़िम्मेदारियाँ बढ़ जाती हैं। लड़की दो कुलों की लाज हैं उसे ये समझना होगा, उसे सबका दिल जीत कर अपने लक्ष्य को पाना होगा और अपने दोनों माता पिता का नाम ऊंचा करना होगा। लड़के को भी समझना होगा कोई उसके लिए अपना सब कुछ छोड़ कर आया हैं उसे हर हाल में अपनी पत्नी वा माता पिता का ख्याल रखना होगा।

सच के साथ भगवान हैं, किसी को किसी का बुरा करने की ज़रूरत नहीं, क्यूंकि जो बुरा करता हैं, उसके सामने आज नहीं तो कल उसका इतिहास ज़रूर आता हैं। दूसरों का दिल जीतने से पहले तुम्हें खुद पर विश्वास रखना होगा।हर इंसान प्यार का भूखा हैं, सबको प्यार से मनाओ और अपने टूटते रिश्ते को प्यार से सुलझाओ।
अब आप इस कविता का आनंद ले

शादी मात्र एक कार्यक्रम नही.
जो कुछ दिन में ख़तम हो जायेगा।
ये है, एक ऐसा गठ बंधन,
जो जन्मों जन्मांतर तक जायेगा।
इसे निभाने की कला बस वही समझ पायेगा,
ख़ुदको संभाल, जो दूसरों की परेशानियों को भी समझ पायेगा।

छोड़ा हैं घर अगर लड़की ने,
तो लड़का भी अपनी कई इच्छाओं को छोड़ता हैं।
करके दिन रात वो मेहनत,
सबको एक सूत्र में जोड़ता हैं।

दो कुलों की लाज को सबके दिल में उतर जाना हैं,
खुदको संभाले, उसे हर हाल में दुनियाँ को ये समझाना हैं।
उसके अपने भी कई अरमान हैं।
उसे भी बनानी दुनियाँ में अपनी पहचान हैं।

हर कदम पर अपनी पत्नी और दोनों परिवारों का साथ निभाकर,
पुरुष अपनों को ही नही, लाखों दिलों को जीत सकता हैं।
अपने अपने दुखो को सोच, सबको अपना ही दुख क्यों बड़ा लगता हैं??
दुसरो की जगह, खुद को रख कर, तो देखो,
बस अपने दुखों को समझ, तुम दूसरे पर व्यगों के तार ना फेको।

हर पल का हिसाब कही तो लिखा जाता हैं,
ठोकरें खाकर ज़िन्दगी की,
तभी इंसान को क्यों समझ आता हैं??
समझकर एक दूसरे की इच्छाओं को,
इस बंधन को मज़बूत करा जा सकता हैं।
बस अपनी सोच,दूसरे को भूल,
ये कर्म तो ईश्वर को भी बुरा लगता हैं।

किसी ने करा इतना बड़ा बलिदान,
इसकी गहराई पुरुष को समझनी होगी।
किसी ने ली तुम्हारी पूरी ज़िम्मेदारी,
इस बात की प्रशंसा नारी को भी करनी होगी।
अब अगर कोई साथ किसी का छोड़ेगा,
उसका अपना ही नहीं,
इस दुनियाँ का हर जीव उससे मुख मोड़ेगा।

ना ही नर अच्छा, ना ही नारी अच्छी,
अच्छाई के लिए जो डटा रहे, ऐसे इंसान की बस सोच हैं सच्ची।
ऐसी सोच ही तो लगती है, बस मेरे प्रभु को अच्छी।

विशेष:- ये पोस्ट इंटर्न प्रेरणा महरोत्रा गुप्ता ने शेयर की है जिन्होंने Phirbhi.in पर “फिरभी लिख लो प्रतियोगिता” में हिस्सा लिया है, अगर आपके पास भी है कोई स्टोरी तो इस मेल आईडी पर भेजे: phirbhistory@gmail.com.

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