आज ही के दिन 9 दिसम्बर (1934) को अमृतसर, पंजाब में ‘जीवंत’ आवाज के सरताज महेंद्र कपूर का जन्म हुआ था। अपनी आवाज से कई पीढ़ियों को सम्मोहित करने वाले पार्श्व गायक महेंद्र कपूर भारतीय संगीत के स्वर्णकाल के सुप्रसिद्ध हस्तियों में से एक थे। महेंद्र कपूर के आवाज को ‘जीवंत’ भारतीय आवाज का सरताज कहा गया। छोटी सी उम्र में ही गायक बनने का ख्वाब लिए मुम्बई की ओर रुख किया लेकिन उस समय गायन क्षेत्र में अपने आप को स्थापित करना किसी भी गायक के लिए टेढ़ी खीर थी लेकिन सच ही कहा गया है अगर इरादे नेक और आत्मविश्वास चट्टानी हो तो कुछ भी संभव हैं।
विशेष कर उनके द्वारा गाये गये देशभक्ति गीतों ने संगीतप्रेमियों के ऊपर जादुई असर किया और वे देशभक्ति गीतों के पर्याय बन गये। देशभक्ति गीतों के पर्याय बन चुके महेंद्र कपूर की स्वर्णिम उपलब्धियाँ संगीतप्रेमियों को सदैव मस्त नगमे सुनाने का वादा करने वाले महेंद्र कपूर के सफलता का सफर 1953 में मदमस्त फिल्म के गीत ‘आप आए तो ख्याल ए दिल ए नाशाद आया’ से हुई। फिर उसके बाद उन्होंने ने कभी पीछे मुड़कर नही देखा और एक से बढ़कर एक कीर्तिमान अपने नाम करते चले गए।
इसी कड़ी में महेंद्र कपूर को 1963 में गीत ‘चलो एक बार फिर से अजनबी बन जाए’ के लिए फिल्म फेयर पुरस्कार मिला। पुनः1967 में उन्हें फिल्म हमराज के गीत ‘नीले गगन के तले’ के लिए फिल्म फेयर पुरस्कार मिला। भारतीय संगीत जगत ने वर्ष 1968 में पहली बार महेंद्र कपूर लोहा माना जब उन्हें उपकार फिल्म की बहुचर्चित देशभक्ति गीत ‘मेरे देश की धरती सोना उगले’ के लिए सर्वश्रेष्ठ पार्श्व गायक का सम्मान मिला।
सफलता का सफर यहीं नहीं रूका उन्हें तीसरा फिल्म फेयर पुरस्कार भी फिल्म रोटी कपड़ा और मकान के गीत ‘नहीं नहीं’ के लिए मिला साथ ही भारत सरकार के द्वारा पद्मश्री सम्मान से सम्मानित किया गया एवं महाराष्ट्र सरकार के द्वारा लता मंगेशकर सम्मान से महेंद्र कपूर को नवाजा गया उपरोक्त उपलब्धियाँ जीवंत आवाज के सरताज महेंद्र कपूर को औरो से खास साबित करने के लिए पर्याप्त हैं। ऐसे सच्चे सुरसाधक को उनके जन्मदिन के शुभ अवसर पर नमन!
[स्रोत- संजय कुमार]