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मध्यप्रदेश सरकार की योजना से हुई है किसानों को काफी परेशानी

मध्यप्रदेश सरकार ने किसानो के लिए भावांतर योजना की घोषणा की जिस पर किसानों को अपनी सरसौं की फसल पर 4 हजार रूपए प्रति क्विंटल बिकेगी इसलिए लोगो ने अपनी फसल का भावांतर पंजीयन कराया और उसे मंडी में नही बेचा।

लेकिन कुछ समय पश्चात सरकार ने अपना बयान बदलते हुए कहा कि अब फसल भावांतर पर न बिककर समर्थन मूल्य पर बिकेगी तब किसान अपनी फसल को उपार्जन केंद्र पर समर्थन मूल्य पर बेचने के लिए ले गए पर वहां बताया गया कि पहले फसल की अच्छी तरीके से सफाई करो और फिर हम यहाँ अपने यन्त्र से छानेगें उसके बाद आप अपनी फसल को समर्थन मूल्य पर बेच पाओगे।

किसानों के लिए उनकी मोबाइल पर एक संदेश आया कि “आपको सूचित किया जाता है की उपार्जन केंद्र पर समर्थन मूल्य पर गेहूँ, चना, मसूर, एवं सरसों का विक्रेय अनिवार्य नहीं है । यदि आपको मंडी में अच्छे भाव प्राप्त हो रहे हैं तो गेहूँ, चना, मसूर, एवं सरसों का विक्रेय मंडी में करें । इस हेतु गेहूँ पर रुपया 265/- प्रति क्विंटल तथा चना, मसूर, सरसों पर रुपया 100/- प्रति क्विंटल भावांतर राशि प्राप्त होगी ।

नोट: उक्त योजना का लाभ लेने हेतु ई-उपार्जन पोर्टल (गेहूँ)/भावांतर पोर्टल (चना, मसूर एवं सरसों ) पर पंजीयन होना अनिवार्य है”। जिसके कारण कुछ किसानों ने अपनी फसल मंडी में सीधे व्यापारियों को उनके द्वारा निर्धारित मूल्य पर बेची और जब इस सन्देश को मंडी कार्यालय सबलगढ़ में दिखाया गया तो उन्होंने इसका लाभ देने से इंकार कर दिया।

“यह भावांतर पर फसल नही बिक रही है और न ही किसी को कोई भावांतर पर किसी भी प्रकार का लाभ मिल सकता है आप इसे समर्थन मूल्य पर ही बेचो”। शर्मा जी, कर्मचारी, अनाज मंडी कार्यालय सबलगढ़ क्या किसानों की आबाज और उनकी परेशानियों को सुनने वाला कोई नहीं है क्या यह सरकार का कर्तब्य नहीं है।

[स्रोत- राजकुमार]

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