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यहां के राजा हैं भगवान राम! आज भी दी जाती है बंदूकों से सलामी

ओरछा /टीकमगढ़ / मध्यप्रदेश के बुंदेलखंड क्षेत्र के टीकमगढ़ जिले में ओरछा एक बहुत ही प्राचीन और मजबूत राज्य रहा है एक समय में बुंदेलखंड की राजधानी के रूप में ओरछा को जाना जाता था। और यहां निर्मित भवन राज महल आज भी खंडर नहीं हुए बल्कि दुरुस्त हालत में है और निवास करने योग्य हालांकि यह सभी महल और और दीवारें तथा प्राचीन धरोहरें मध्य प्रदेश शासन के पुरातत्व विभाग के अधीन संरक्षित कर ली गई थी।

आपको बताना चाहते हैं कि यहां एक समय तक बुंदेला राजाओं का राज्य रहा है किंतु इन राजाओं का शासन किसी दूसरे राजा के आक्रमण से समाप्त नहीं हुआ और ना ही राजाओं के संतानहीन होने से ही समाप्त हुआ है। बल्कि यहां के दानवीर राजाओं की गाथा यहां के महल आज भी सुना रहे हैं।

यहां भक्त शिरोमणि रानी कमलावती हुई है जिन्होंने भगवान राम को अयोध्या से लाने का निर्णय किया और भगवान को पुत्र के रुप में मानने लगी यहां भगवान राम की स्थापना करने के लिए एक सुंदर मंदिर का निर्माण कराया गया था किंतु भगवान ने महारानी कमलावती से बालक रूप में इच्छा जाहिर की , कि पहले मुझे भोजन करना है तब कहीं जाऊंगा उनकी बात मानकर महारानी उन्हें रसोईघर में ले गई और वहां भोजन कराने के बाद मंदिर में स्थापना का आग्रह किया ,.तब भगवान ने किसी भी मंदिर में जाने से इंकार कर दिया और रसोई घर में ही विराजमान हो गए , जिस मंदिर का निर्माण कराया गया था उस मंदिर को आज भगवान चतुर्भुज मंदिर के नाम से जाना जाता है।

भगवान राम को बेटा मान कर राजा और रानी ने ओरछा का साम्राज्य उनको ही समर्पित कर दिया और ओरछा का राजा भगवान राम को ही बना दिया स्वयं ओरछा से लगभग 100 किलोमीटर दूर टीकमगढ़ में जा बसे और वहां नए राज्य की स्थापना की भगवान राम के दरबार में आज भी मध्यप्रदेश शासन की ओर से नियुक्त पुलिसकर्मी पहरा देते हैं।

भगवान राम को जगाने के लिए राइफल से बंदूक की सलामी देते हैं भगवान राम को जगाने आरती स्नान भोजन इत्यादि के समय दिन में 5 बार बंदूकों से सलामी दी जाती है। यहां लोगों की अथाह आस्था और विश्वास है भगवान राम के मंदिर को ★”रामराजा सरकार” ★के नाम से जाना जाता है यहां भगवान राम के साथ हनुमान जी का एक मंदिर बहुत प्रचलित है । माना जाता है कि हनुमान जी प्रतिदिन अयोध्या से राम को अपने कंधे पर बिठाकर ओरछा लेकर आते हैं और ओरछा से प्रतिदिन अयोध्या लेकर जाते हैं ऐसी मान्यता है।
✍ कप्तान सिंह यादव

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