फिर भी

जिंदगी : सुख, दुःख और कठिन परिश्रम

जिंदगी : सुख, दुःख और कठिन परिश्रम

प्रस्तुत पंक्तियों में कवयित्री समाज से ये याचना कर रही हैं कि हर इंसान अपने को सही करने में दिमाग लगाये, कोई इंसान खुदकी तुलना किसी दूसरे से न करे क्योंकि हर इंसान अपने में ख़ास होता हैं। सबके अपने अलग गुण होते हैं जो हर इंसान को अनोखा बना सकते हैं तो हर इंसान को अपने गुणों को सवारना चाहिये,

अपनी तुलना दूसरे से कर के चिढ़ना नहीं चाहिये। कवयित्री ये भी कहती हैं कि सुख और दु:ख जीवन के साथी हैं, इस पृथ्वी में ऐसा कोई जीव नहीं जो केवल दु:खी हो और न ही कोई ऐसा जीव है जो केवल खुश हो, सुख और दुख जीवन के हिस्से हैं, सबको अपने कर्मो के हिसाब से सुख या दुख झेलना पड़ता है । वह यह भी कहती है कि अगर हम किसी की सफलता को देखते हैं तो हमे किसी के संघर्षों को नज़रअंदाज़ नहीं करना चाहये.

अगर आज कोई सफल हुआ है तो उसके पीछे उसकी मेहनत है , किसी से अपनी तुलना करके, किसी को लाभ नहीं होगा, बल्कि दूसरों से प्रेरणा ले कर तुम भी संघर्षों की राह पर निकल जाओ, तुम्हें भी जीत मिलेगी फिर तुम भी एक दिन सबके लिए उदहारण बन जाओगे। फिर यही सफलता तुम्हें और तुम्हारे अपनों को ख़ुशी देगी फिर किसी की तुलना किसी से नहीं होगी सब अनोखे हैं, बस तुम खुद को पहचानो ।

अब आप इस कविता का आनंद लें

सुख और दुख दोनों ही,
ज़िन्दगी के हिस्से हैं।
सह कर बहुत कुछ पाया भी,
सुने ना जानें हमने,ऐसे कितने किस्से हैं।
जीवन के पड़ावों में,
किसी को सुख मिलता है ।
तो किसी का हौसला दुखों से हिलता है।
आज अगर सुख है,
तो कल दु:ख भी मिल सकता है।
हम ही हैं बस दु:खी,
ऐसा क्यों, किसी की ख़ुशी देख,
दूसरों को लगता है??
पिछले कर्मो के पुण्य,
आज जगमगाते हैं।
किसी की ख़ुशी देख,
हम उसके संघर्षों को क्यों भूल जाते हैं??
किसने रोका तुम्हें मेहनत करने से,
तुम्हें ही फुरसत नहीं दूसरो की ख़ुशी से जलने से,
रख विश्वास खुद पर,
और संघर्षों के समुंदर में तैर जा।
मिलेंगे तुझे भी कई मोती,
तू बस संघर्षों की राह में ठहर जा।

विशेष:- ये पोस्ट इंटर्न प्रेरणा महरोत्रा गुप्ता ने शेयर की है जिन्होंने Phirbhi.in पर “फिरभी लिख लो प्रतियोगिता” में हिस्सा लिया है, अगर आपके पास भी है कोई स्टोरी तो इस मेल आईडी पर भेजे: phirbhistory@gmail.com.

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