चलो आज अपनी एक गन्दी, आदत को ही सुधारते है

प्रस्तुत पंक्तियों में कवियत्री दुनियां को यह समझाने की कोशिश कर रही है कि वक़्त कभी वक़्त भी नहीं देता ये सोचने का की हम गलत हैं हमे खुदके अंतर मन को पहचान उसकी सुननी है जो हर पल हमसे सही कहता है। दोस्तों हम सभी के अंदर कुछ ना -कुछ गलत आदते होती है जो हमारे अलावा दूसरे को भी दुखी करती है और कुछ आदते हमारा खुदका नुक्सान ही पहुँचाती है

चलो आज अपनी एक गन्दी, आदत को ही सुधारते है

इस कविता के माध्यम से कवियत्री दुनियाँ से दरख्वास्त कर रही है कि क्यों ना आज हम अपनी किसी एक गलत आदत को खत्म करे धीरे-धीरे जब हम ऐसे जीना सीख जायेंगे तो एक दिन ऐसा ज़रूर आयेगा जब हम काफी बदल चुके होँगे और हमारे आस पास के लोग भी हमे और पसंद करने लगेंगे दोस्तों याद रखना ताली कभी एक हाथ से नहीं बजती आप पहले बदलो आपको देख ये जग भी बदलेगा वातावरण में शांति केवल एक के ही शांत रहने से नहीं आती इसके लिए सबको साथ में चलना होगा।

अब आप इस कविता का आनंद ले।

चलो आज अपनी एक गन्दी,
आदत को ही सुधारते है।
अपने अच्छे कर्मो से ही,
आज अपनी अपनी ज़िन्दगी को सवारते है।
तो क्या हुआ अब तक मैंने खुदको,
अँधेरे में ही जलाया।
अपनी गलतियों को मान,
मैंने खुदको ही आज इन्साफ दिलाया।
इन गलतियों को मैं ही तो,
अपने मन की गहराइयो से जानता था।
दूसरे को कम समझ,
मैं ही तो खुदको काबिल मानता था।
क्यों ना आज उन गलतियों का एहसास कर,
मैं खुदको ठीक करनेका एक मौका दूँ।
अपने जीवन के इस झूले को,
क्यों ना आज मैं फिरसे एक ज़ोर का झोका दूँ।
आवाज़ लगाई थी कई बार,मेरे ही इस दिलने।
इस माया की दुनियाँ ने नहीं दिया मुझे उससे मिलने।

धन्यवाद

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here

This site uses Akismet to reduce spam. Learn how your comment data is processed.