प्रस्तुत पंक्तियों में कवियत्री दुनियां को यह समझाने की कोशिश कर रही है कि कभी-कभी हमारी गलती होती भी नहीं है और जाने अनजाने में लोग हमे गलत समझ कर हमे गलत बोल देते है जिसके गहरे घाव हमारे मन में घर कर जाते है जब कोई इंसान ऐसे दौर से गुज़रता है तो उसे घबराने की ज़रूरत नहीं क्योंकि ईश्वर ऐसे ही सीधे और सच्चे लोगो का साथ देते है और वो ही इंसान जीवन में सच्चे सुख का आनंद लेता है।
अब आप इस कविता का आनंद ले।
ज्ञानी हो या अज्ञानी,
गलती तो हर इंसान से होती है।
गलत ना कर भी किसी की सुन,
जो अखियाँ बिन बात पर कई बार रोती है।
जीवन के हर पड़ाव में,
बस वही अखियाँ फिर चैन से सोती है।
गलतियों को गलतियों से छुपाना,
उन गलतियों को बढ़ाता है।
अपनी गलतियों को सुधार कर ही,
इंसान कम उम्र में भी ज्ञानी बन जाता है।
चाहे छोटा हो या बड़ा,
गलत तो हर हाल में गलत ही कह लायेगा।
इस कविता की गहराई का सच,
तुम्हे तभी समझ में आयेगा।
तुम्हारा बोया काँटा जब तुम्हे ही चुभ जायेगा।
धन्यवाद।