शरद पूर्णिमा भारतीय संस्कृति में एक महान दिन है शास्त्रों के अनुसार इस दिन जिस कार्य का भी अनुष्ठान किया जाता है वह सफल जरूर होता है. यही वह दिन है जिस दिन भगवान श्री कृष्ण ने गोपियों संग महारास रचा था और आम जन का कल्याण किया था. शरद पूर्णिमा के दिन संपूर्ण भारतवासी खीर बनाकर रात्रि खुले आसमान में चंद्रमा के समक्ष रखते हैं क्योंकि शास्त्रों के अनुसार शरद पूर्णिमा के दिन चंद्रमा से अमृत रस की वर्षा होती है.
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क्योंकि इस रात्रि चंद्रमा पृथ्वी के सबसे निकट रहता है और चंद्रमा की किरणों में उपस्थित रसायन सीधे खाद्य पदार्थ में आकर उसको अमृतरस प्रदान करते हैं. उस अमृत रस में उपस्थित विशेष पोषक तत्व हमारी अनेक बढ़ाओ को दूर कर जाते हैं और आप इस प्रसाद के माध्यम से ईश्वर का आशीर्वाद भी ग्रहण करते हैं.
इसी रात्रि मां लक्ष्मी भी पृथ्वी पर विचरण करती हैं और देखती हैं कि कौन उनकी प्रतिष्ठा में जाग रहा है. ऐसे में आपके लिए जरुरी है कि उस रात आप बंधु-बांधवों सहित भगवान का ध्यान करें और जागरण करें. ऐसा करने से मां लक्ष्मी आप पर प्रसन्न होगी और आपके दु:ख दूर करेंगी.
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आप शरद पूर्णिमा में एक तांबे अथवा मिट्टी के कलश पर वस्त्र से ढकी हुई मां लक्ष्मी की स्वर्ण प्रतिमा को स्थापित करें और उनका पूजन करें और सायंकाल में जब चंद्रोदय हो जाए तो घी के सो दीपक जलाएं. शुद्ध घी से बनी हुई खीर को आप अलग-अलग पात्र में रखकर उसे चंद्रमा की किरणों के सामने रख दें जब 6 घंटे मतलब एक पहर बीत जाए तो उस संपूर्ण खीर को लक्ष्मी जी को अर्पित कर दें.
प्रात:काल में ब्राह्मणों और गरीबों को भोजन कराएं तथा प्रसाद के रूप में खीर को बांटे और अपने आप भी खाएं ऐसा करने से आपका कल्याण अवश्य होगा.