प्रस्तुत पंक्तियों में कवियत्री दुनियाँ को यह समझाने की कोशिश कर रही है कि वो लोग बहुत किस्मत वाले होते है जिनके जीवन में उन्हें कोई टोकने वाला मिले क्योंकि जीवन में जितना प्यार ज़रूरी है उतनी ही डांट भी ज़रूरी है क्योंकि गलत बात पर किया गया गुस्सा भी गलत नहीं होता।
अब आप इस कविता का आनंद ले।
गलत बात पर किया गया गुस्सा भी सही मोड़ ले लेता है।
अपने आगोश में वो अपने को, चुपकेसे ले लेता है।
सही समझ वाले को फिर वो गुस्सा भी अच्छा लगता है।
सही दिशा में बढ़ना जो सिखाये, उसे बस वही मानव सच्चा लगता है।
तो क्या हुआ अगर हमे सबके सामने डांट पड़ी.
खुदसे पूछो, क्या फिर भी उसी दिशा में, मैं थी खड़ी??
या गलती मान, मैंने खुदको सुधारा।
सुधार कर खुदको, क्या बना मैं अपने गुरु का सहारा??
या समझा मैंने खुदको हर दम बेचारा??
भविष्य के महत्वपूर्ण पलो में,आज की डांट का महत्व पता चलता है।
सुधारे जो न खुदको, वो तो हर दम, हार कर अपने हाथ ही मलता है।
नातो आज और न ही कल में ,उसे किसी का सहारा मिलता है।
तकलीफो में जो पनपे, वही एक दिन फूल सा खिलता है।
मगर शुरुवात में, उसे भी किसी का सहारा नहीं मिलता है।
धन्यवाद।