स्तुत पंक्तियों में कवियत्री दुनियाँ को यह समझाने की कोशिश कर रही है कि बहुत कम लोग ऐसे होते है जो अपने दुखो में भी दूसरे को दु:खी देख रोते है और सबसे अफ़सोस की बात ये है कि लोग ऐसे अच्छे और सच्चे व्यक्ति को वक़्त पर पहचान नहीं पाते यही एक मात्र कारण है कि अच्छा इंसान अपनी अच्छाई की वजह से जीवन में बहुत बार दुख झेलता है लेकिन जब उसकी असलियत सबके सामने आती है तो उसके और उसके अपनों के सारे दुख मिट जाते है।
अब आप इस कविता का आनंद ले।
दूसरो के लिए दुआ माँगने से,
अपनी दुआ, बिन मांगे ही पूरी हो जाती है।
अपनी ख्वाहिशों को रख परे,
जब एक पवित्र आत्मा,
दूसरी आत्मा के लिए अश्क बहाती है।
ऐसे मधुर व्यवहार से वो अपने कुल का दीपक बन जाती है।
उसके बलिदान की कीमत,
उसके अपनों को पहले समझ नहीं आती है।
खोकर अपना सब कुछ,
वो अपनों पर बस प्यार ही लुटाती है।
अपने करे बलिदान का एहसास,
वो कभी किसी को नहीं कराती है।
उसकी दिन चरिया को देख,
उसकी असलियत लोगो को धीरे-धीरे समझमे आती है।
उसकी प्यार की गहराई को परखने में,
लोगो की आधी उम्र निकल जाती है।
फिर जाकर एहसास होता है,
लोगो को बीते हुये कीमती पल का।
देरी से ही सही, उसका असली रूप तो लोगो के सामने झलका।
धन्यवाद