फिर भी

टूटे दिलों को जुड़ने में वक्त तो लगता है

प्रस्तुत पंक्तियों में कवियत्री दुनियाँ को यह समझाने की कोशिश कर रही है कि अगर रिश्तो में तनाव आजाये तो उसे जुड़ने में वक़्त तो लगता है क्योंकि रिश्ते जुड़ने में सदियाँ लग जाती है लेकिन टूटने में कुछ पल ही लगता है। कवियत्री सोचती है समझदारी इसी में ही है की हम पिछला भूल कर फिर से एक नई शुरुवात करे हर व्यक्ति अपनी-अपनी गलती माने और खुदसे ये वादा करे की यह गलती अब वह वापिस नहीं दोहरायेंगे क्योंकि शांति का रास्ता करुणा से ही निकलता है

भेद-भाव व गुस्सा कर हम कभी खुश नहीं रह सकते और इन हालातो में इंसान दुखो की अग्नि में जलता ही रहता है और जीवन भरी-भरी सा लगने लगता है। भले ही डाट खालो लेकिन दूसरे की भी सुनो और अपनी बात भी रखो। याद रखना दोस्तों जीवन तो झरने के भाती बहता ही जा रहा है कब कौन अपना पीछे छूट जाये वक़्त रहते अपनों को मनालो अपने अच्छे व्यवहार से अपना जीवन खुशियों से सजालो।

अब आप इस कविता का आनंद ले।

टूटे दिलो को जुड़ने में वक़्त तो लगता है।
रूठे को रूठा भी तो मना सकता है।
अपने दुखो का पलड़ा ही क्यों सबको भरी लगता है??
तुम रूठे इसलिए दूसरा भी तुमसे रूठा,
कुछ पल के तनाव में आके, अपनों का साथ भी छूटा।
जो रोका होता खुदको तो बात इतनी बढ़ न पाती।
जीवन भी एक पहेली,फिर बनकर न रह जाती।
जिस क्षण से, खुदको संभाले,तुम करुणा के पथ पर चलते हो।
अपने को दे कर अपार शांति,
तुम अपने, दुखो की अग्नि, में नहीं जलते हो।
माफ़ी का रास्ता आसान है इसमें बैर के गढ्ढे नहीं।
शांति का है ये ऐसा सफर, जिसमे उम्मीदों की कोई जगह नहीं।
क्योंकि जब बिन कुछ कहे ही, तुम्हारी बात सुनली जायेगी।
तेरे बदलते व्यवहार को देख, तेरी किस्मत भी तेरे आगे शीश झुकायेगी।
मगर शिकायतों के बोझ में, तू दुख के सागर में डूबती ही जायेगी।

धन्यवाद।

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