गैस सिलेंडर के रेगुलेटेर पर जरा लगाम लगाकर रखन क्योंकि सिलेंडर की कीमतें बेलगाम हो गई हैं…जिस रफ्तार से सिलेंडर से गैस निकलती है लगता है उतनी ही रफ्तार से सरकार इसकी कीमतें भी बढ़ा रही है…मोदी सरकार के ढाई साल के कार्यकाल में सिलेंडर 700 रुपये से ज्यादा हो गया…हैरानी की बात ये है कि सिलेंडर का ये झटका पिछले छह महीने से लगातार लग रहा है अब बिना सब्सिडी वाला सिलेंडर 737.50 रूपए में मिल रहा है, एक मार्च से एक सिलेंडर 86.50 रुपये महंगा हो गया, अगर 6 महीने की रेटलिस्ट देखें तो गैर-सब्सिडी सिलेंडर की कीमत में 59% इजाफा किया जा चुका है, जहां दिल्ली में सितंबर 2016 में 14.2 किलो का एक बिना सब्सिडी वाला सिलेंडर 466.50 रुपये में उपलब्ध था, वहीं अब इसकी कीमत 271 रुपये बढ़ाई जा चुकी है, ये जानकर और चौंक जाएंगे कि एक मार्च की बढ़ोतरी 10वीं बार है.
सिलेंडर के बढ़ी कीमतों को लेकर विपक्ष ने भी सरकार पर करारा हमला किया…आरजेडी और समाजवादी पार्टी ने पूछा क्या अच्छे दिन यही हैं, चुनाव के मौसम में गैस सिलिंडरों की कीमत 86 रुपये तक बढ़ जाए तो जाहिर है मुद्दा बनेगा…लालू ने ट्वीट में लिखा है कि ‘भाईयों और बहनों आपकी जेब पर डाका डाल दिया गैस का दाम फिर 86.50 रु बढ़ा दिया, भारत माता की जय। मितरों, चलो ठोको ताली’.
आपको बता दें कि यूपीए सरकार ने सब्सिडी वाले सिलेंडर की संख्या 9 से बढ़ाकर 12 कर दी थी…प्रधानमंत्री बनने के बाद पीएम ने इस फैसले पर तंज़ कसते हुए सिलेंडर पर बनाई अपनी योजना पर खूब वाह वाही लूटी थी, लेकिन लोगों को पता नहीं था, एक दिन सिलेंडर की कीमतों में भयंकर बढ़ोतरी कर वो जनता पर बोझ डाल देंगे, केंद्र सरकार की GIVE IT UP योजना के तहत देश में 1 करोड़ से ज्यादा लोग बीते दो साल के दौरान गैस पर सब्सिडी छोड़ चुके हैं. इन लोगों से केंद्र सरकार ने गरीबी रेखा से नीचे रहने वाले लोगों के हित में गैस सब्सिडी छोड़ने की अपील की थी जिससे सस्ती दरों में बीपीएल रेखा के नीचे लोगों को सब्सिडी सिलेंडर पहुंचाया जा सके, अब इन लोगों पर भी बढ़ी हुई कीमतें लागू होंगी, गैर रियायती सिलेंडर उन्हें खरीदना होता है जिन्होंने सब्सिडी छोड़ दी है, या फिर 12 रियायती सिलेंडर का सालाना कोटा इस्तेमाल कर चुके हैं, आम उपभोक्ताओं को भी बढ़ी कीमत अदा करनी होगी,हालांकि उन्हें वापस ज्यादा सब्सिडी बैंक खाते में मिल जाएगी और उनके लिए बढ़ोतरी बेअसर हो जाएगी.
अब आपको बताते हैं कि आखिर बढ़ी कीमतों की वजह क्या बताई जाती है,.पेट्रोल-डीजल की तरह देश में गैस की कीमत भी बाजार के हावले है, हर महीने की पहली तारीख को ऑयल कंपनियां कच्चे तेल और गैस के ग्लोबल ट्रेड को देखते हुए अपने उत्पाद की कीमत में इजाफा या कटौती का ऐलान करती हैं, पिछले छह महीने में खाड़ी देशों समेत क्रूड ऑयल प्रोड्यूसर देशों द्वारा कच्चे तेल के प्रोडक्शन में कटौती और कीमत में इजाफा हुआ है, भले ही वजह कुछ भी हो लेकिन जिस तरह से पिछले 6 महीने में कीमतें बढ़ी हैं वो बेहद चौंकाने वाली हैं