#IndependenceDayIndia – आजादी की जंग खुद से

आज 15 अगस्त है और पूरा देश 71 वां स्वतंत्रता दिवस मना रहा है। हमारे संविधान में सभी को स्वतंत्रता और समानता के साथ जीने का हक है, चाहे वह अमीर हो या गरीब, छोटा हो या बड़ा, राजा हो या रंक, हिंदू हो या मुस्लिम/ सिख/ इसाई/, स्त्री हो या पुरुष। फिर क्यों महिलाओं को अपनी आजादी के लिए समाज से लड़ना पड़ता है, क्यों उनका हक उन्हें बिना मांगे नहीं मिलता क्यों अपने अधिकारों के लिए उन्हें लड़ाई लड़नी पड़ती है।

70th Independence Day

देश में महिला सशक्तिकरण पर इतना ध्यान दिया जा रहा है और तेजी के साथ महिलाओं की आजादी पर काम भी हो रहा है फिर भी महिला और पुरुष के बीच की खाई पाटने का नाम ही नहीं लेती। क्या इसके लिए महिलाएं खुद जिम्मेदार नहीं है..? सोचने वाली बात यह है कि कैसे महिलाएं अपनी आजादी की दुश्मन हैंं। समाज में आजादी मिलने से पहले महिलाओं को अपनी सोच से स्वतंत्र होने की आवश्यकता है क्यों वह हर बार अनदेखा आसमान देखने के लिए अपनों से उम्मीद लगाती हैं। वह अपनी ही भावनाओं की गुलाम है। महिलाएं हर क्षेत्र में सफलता अर्जित कर रही हैं फिर भी खुद को शक्तिहीन समझने की भूल कर रहीं हैंं, यह आजादी का संघर्ष किसी और से करने से पहले खुद से करिए, इस स्वतंत्रता दिवस पर खुद से आजादी मांगिए।

आजादी अपनी बात कहने की-: मध्यम वर्गीय परिवार या गरीब परिवारों की कम पढ़ी लिखी महिलाओं को अपनी बात कहने का भी अधिकार नहीं होता, घर के हर फैसले में पुरुष तो शामिल होते हैं परंतु महिलाएं नहीं। महिलाओं को अपने मन की बात मन में रखने की वजाय खुलकर घर वालों के सामने रखनी चाहिए। महिलाएं केवल काम करने की मशीन नहीं हैंं, वह परिवार का हिस्सा हैंं और अपनी बात कहने की आजादी खुद से ले सकती हैं।

आजादी पहनावे की-: महिलाओं के पहनावे को लेकर समाज में टीका-टिप्पणी होती रहती है। महिलाओं को पहनावे को लेकर इतनी भी आजादी नहीं है कि उन्हें क्या पहनना है, किस पहनावे में वह कंफर्टेबल महसूस करती है, घर, शादी, पार्टी, समाज के सामने कपड़े पहनने का निर्धारण वह खुद नहीं कर सकती आपको अपने शरीर को किस तरह ढ़कना है, यह फैसला आपका खुदका होना चाहिए। दूसरों की सोच और पसंद के हिसाब से पहनावे की बंदिशों से खुद को आजाद करिए।

आजादी सपने पूरे करने की-:  महिलाओं के भी कुछ सपने कुछ अरमान होते हैं, जिंहें वह दूसरों की खुशी के लिए हमेशा बांधे रखती हैं। पढ़ाई पूरी करने से लेकर नौकरी बिजनेस करने घूमने फिरने से लेकर तमाम सपनों को वह दिल में छुपाये चलती रहती हैंं, इतना याद रखिए अपने सपनों को कुचलने का मतलब है खुद को कमजोर करना। आप कुछ करना चाहती हैं तो आत्मविश्वास के साथ घर वालों को अपने सपनों के बारे में बताएं।

आजादी पैसा खर्च करने की-: महिलाओं को पैसे खर्च करने की आजादी नहीं होती, पढ़ी लिखी या कामकाजी महिलाएं मनमर्जी से पैसा खर्च करने में संकोच करती हैं, या घर वाले से पूछे बिना पैसा खर्च नहीं करना चाहती। जब कि महिलाएं एक अच्छी मैनेजर होती हैंं, वह घर और खुद पर कितना पैसा खर्च करना है इसका मैंनेज अच्छी तरह से कर सकती हैं, जब परिवार की जरूरतों को पूरा करने में महिलाएं पैसे खर्च करने में संकोच नहीं करती तो खुद पर भी थोड़ा खर्च कर सकती है।

महिलाओं की इच्छा शक्ति व हौसला दृढ़ होता है। अपनी जिम्मेदारियों को निभाना वह बखूवी जानती हैं। वह एक अच्छी ग्रहणी, अच्छी कार्यकर्ता, अच्छी समाजसेवी, अच्छी वक्ता, अच्छी अध्यापिका होती हैंं ओर सबसे ज्यादा वह भी इंसान हैं, तो उन्हें अपनी आजादी किसी से मांगने की आवश्यकता नहीं है। उन्हें जिंदगी को अपनी तरह से जीने की आजादी स्वयं से लेनी चाहिए।

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