श्रीविजयनगर में गंगनहर की करणीजी वितिरिका में से पीने के पानी के लिए नहर मे से पाइप लगाकर पानी लिया जाता है, जब किसान नेता प्रेमसिंह खख ने विभाग से पाइप का साइज ज्ञात किया तो हकीकत यह सामने आई कि सिचाई विभाग के द्वारा 3.5 इंच की पाइप मंजूर की हुई थी जबकि मौका मुयाना किया तो वहाँ लगभग 8 इंच की पाइप लगाई हुई है,
जिसके चलने से पास में ही सरकारी विद्यालय की चार बीघा जमीन में धान की फसल बीजांन कर अच्छी तरह से पकाकर अब गेंहू की बीजांन किया गया है, गौरतलब है कि धान की फसल सबसे ज्यादा पानी लेती है। और एक मुरब्बे के सिचाई पानी पर मात्र दो बीघा ही धान अच्छी तरह से सम्भाला जा सकता है परन्तु यहाँ तो चार में से चार बिधा धान की बिजाई की जाती है।
जिससे साफ पता चलता है कि किसानों के हिस्से के पानी से यहाँ धान की बीजांन की जाती है, किसान नेता प्रेमसिंह खख ने कहा कि इसके बारे में जल्द ही सिचाई विभाग के अधिकारी से मिलकर पाइप का साइज सही करवाया जाएगा। आखिर कब तक किसानों के हिस्से के पानी पर अवैध या वैद तरीके से डाका डाला जाता रहेगा, आख़िर कौन जिम्मेदार हैं इस सब के लिए?
इन सवालो के जवाब तो प्रशासन ही दे सकता है लेकिन अंधेर नगरी चौपट राजा की कहावत ऐसे हालात में सच साबित हो जाते हैं जब मंजर यह है कि स्वीकृत पाइप लाइन के साईज 3.5 इंच की जगह 8 इंच पानी पर डाका डाला जा रहा था वह भी स्कूल के लिए पेयजल आपूर्ति के नाम पर, आखिर क्यों, किया गया है किसान के साथ ऐसा?जिम्मेदारी सरकार की, तत्कालीन अधिकारी और मौजूदा प्रशासन की, जिनके नाक के निचे किसानों के हक के पानी पर सरेआम डाका डाला जाता रहा है।
[स्रोत- सतनाम मांगट]