राजस्थान में अब तक कांग्रेस एवं भाजपा की सरकार बनती आई है और हमेशा इन दोनों पार्टियों में संघर्ष होता नजर आया है। मगर इस बार राजस्थान के राजनैतिक गलियारों से तीसरे मोर्चे के गठन की खबर आ रही है। सूत्रों की माने तो इस तीसरे मोर्चे का गठन खिवसर विधायक हनुमान बेनीवाल के नेतृत्व में होने की खबर है।
हनुमान बैनीवाल वर्तमान में राजस्थान विधानसभा के खिवसर से निर्दलीय विधायक है। शुरुआत में जाट राजनीती के चेहरे माने जाने वाले बैनीवाल आज पशिचमी राजस्थान में एक किसान नेता के रूप में अपनी पहचान बना चुके है। हनुमान बैनीवाल की कार्यशैली, उनकी धरातल पर सक्रियता से युवा वर्ग उनसे प्रभावित होकर उनके साथ खड़ा दिखाई देता है तो किसानों के मांगो, उनके अधिकारों को पुरजोर तरीके से उठाने के कारण किसान बैनीवाल को अपनी आवाज मानकर इनका समर्थन करते नज़र आ रहे है।
तीसरे मोर्चे बनने की खबर आने के कारण
1. भाजपा सरकार पर लगते नाकामी के आरोप: 163 सीटो की ऐतिहासिक जीत के साथ वंसुधरा के नेतृत्व में बनने वाली सरकार के प्रति लोगो की नाराज़गी देखने को मिल रही है। अब वो शिक्षकों का वेतन के लिए विरोध हो, या फ़ीस व्रद्धि के लिए आंदोलन करने वाले विधार्थियो पर लाठीचार्ज। सरकारी विद्यालयों को PPT मोड पर देने से लेकर प्ररेको को अपनी मांगो को लेकर धरने पर बैठने तक लोग वंसुधरा सरकार पर नाकामियों का आरोप लगा रहे है।
कुछ लोगो का मानना है, कि राजस्थान के बहुचर्चित आनंदपाल एनकाउंटर के बाद हुए विवाद से भी सरकार पर अंगुलिया उठी थी। सरकार ने काला कानून लाकर सबके मुँह पर थप्पड़ मारने जैसा काम किया था। इन सब को आधार मानकर ही लोग सरकार को नाकाम बता रहे है।
2. कांग्रेस की निष्क्रियता के कारण विकल्प न मानना: विधानसभा चुनाव में 200 सीटों में से मात्र 21 सीटो पर सिमटी कांग्रेस ने अपने होश ही खो दिए। कांग्रेस विधानसभा चुनाव के दुःख से उभरी भी नही थी, लोकसभा चुनाव में मोदी की ऐसी लहर चली की सभी 25 लोकसभा सीटो पर से कांग्रेस का सफाया कर एक केंद्रीय पार्टी की जान ही निकल दी।
ऐसी मिली करारी हार के बाद कांग्रेस के नेता, कार्यकर्ता सब का मनोबल टूट गया। और वो लोगो के बीच वापस मुड़कर आये नही। ना ही विधानसभा में जो एक प्रतिपक्ष की भूमिका होती है, उसे निभा पाये। कांग्रेस के पूर्व मुख्यमंत्री तो पंजाब, गुजरात चुनाव में व्यस्त हो गए इसलिए भी लोग थोड़े कांग्रेस से नाराज़ है। कांग्रेस ने इस बार राजस्थान में एक नोटबन्दी के दिन को काला दिवस बनाने के अलावा कोई सक्रियता नही दिखाई। इसलिए भी लोगो को कांग्रेस विकल्प के तौर पर पसन्द नही आ रही है।
भाजपा सरकार पर लगने वाले नाकामी के आरोप और कांग्रेस की निष्क्रियता का पूरा फायदा हनुमान बेनीवाल और किरोड़ीलाल जी मीना ने उठाया है। हनुमान बेनीवाल ने समय समय पर किसान हुकार रैली नाम के कार्यक्रम से जनता के बीच अपनी उपस्थिति दर्ज करवाते रहे है। और इनकी रैली को मिलता जनसमर्थन साफ दिखा रहा है, कि ये तीसरी ताकत के रूप में उभर रहे है। कई बार बेनीवाल ने इसके अप्रत्यक्ष रूप से सकेत दिए है।
फ़िलहाल तीसरे मोर्चे की कोई औपचारिक घोषणा नही हुई है। पर राजस्थान की राजनैतिक गलियों से तीसरे मोर्चे की खबर आती रहती है और लोग राजस्थान में त्रिकोणीय चुनाव बनने का विश्वाश जता रहे। तीसरा मोर्चा बनता है, या नही और तीसरे मोर्चे का जनता क्या फैसला करती है ये तो आने वाला वक्त ही बताएगा।
[स्रोत- विनोद रुलानिया]