बाळ ठाकरे का पूरा नाम बालासाहेब केशव ठाकरे था । लेकिन लोग उन्हें प्रेम से बाळासाहब कहते थे । उनका जन्म 23 जनवरी 1926 को महाराष्ट्र राज्य के पुणे शहर में हुआ था । बालासाहेब का विवाह मीना ठाकरे से हुआ।
उनके तीन बेटे हुए-बिन्दुमाधव, जयदेव और उद्धव ठाकरे। अभी उनके पोते आदित्य ठाकरे युवा सेना के माध्यम से अपना काम कर रहे है । उनकी पत्नी मीना और सबसे बड़े पुत्र बिन्दुमाधव का 1996 में निधन हो गया।अनुयायी उन्हें हिन्दू हृदय सम्राट कहते थे । उनके मराठी भाषा में सामना हिन्दी भाषा में दोपहर का सामना नामक अखबार था । और उनके संस्थापक बालासाहेब थे ।
उन्होंने आपने करियर की शुरूवात फ्री प्रेस जर्नल में कार्टूनिस्ट के रूप में की थी । उधर उनका मन ज्यादा दिन नही रहा । उन्होंने नौकरी से त्यागपत्र देकर 1960 में मार्मिक की शुरुवात की । । हिन्दूराष्ट्र वादी संगठन की स्थापना 1966 में उन्होंने शिव सेना की स्थापना की शिवसेना स्थापन होणे के बाद जितना चीहीहे उतना यश नही मिला ।
लेकिन आखिर वो दिन आ गया । 1995 में शिवसेना बीजेपी गठबन्धन की सरकार महाराष्ट्र में आ गयी । 2005 में उनके बेटे उद्धव ठाकरे को ज्यादा महत्व दिये जाने पर नाराज उनके भतीजे राज ठाकरे ने शिवसेना छोड़ दी और 2006 में अपनी नई पार्टी ‘महाराष्ट्र नवनिर्माण सेना’ बना बाल ठाकरे जब किसी का विरोध करते थे तो दुश्मनों की तरह, और जब तारीफ करते थे तो ऐसे कि जैसे उनसे बड़ा कोई मित्र नही। बाल ठाकरे की एक खास बात थी कि वह कभी किसी से मिलने नही गए.
जिसे मिलना है खुद घर आओ. भारत की हर बड़ी हस्ती उनसे मिलने के लिए उनके मुंबई के घर मातोश्री में जाती थी. बड़े-बड़े बाॅलीवुड स्टार उनसे मिलने उनके घर जाते थे। जैसे: नरेन्द्र मोदी, माइकल जैक्सन.सलमान खान। हिटलर जैसे राजनेता का खुलकर तारीफ करते थे अमरनाथ यात्रा चल रही थी…
आतंकवादियो ने यात्रा बंद करने की धमकी दे दी और कहा जो अमरनाथ यात्री आएगा वह वापिस नही जाएगा. तब बाल ठाकरे ने एक बयान दिया कि, हज के लिए जाने वाली 99% फ्लाइट मुंबई एयरपोर्ट से जाती है देखते है यहाँ से कोई यात्री मक्का-मदीना कैसे जाता है. अगले ही दिन से अमरनाथ यात्रा शुरू हो गई।
बाल ठाकरे पर 6 साल तक वोट डालने और चुनाव लड़ने पर बैन लगा था। लेकिन बाल ठाकरे ने अपने जीवन में कभी चुनाव नही लड़ा। झुणका-भाकर जैसी योजना, वृद्धांना सवलती, जुग्गी धारक को खुद का घर देना का, मुम्बई-पुणे द्रुतगती मार्ग, मुंबईतील उड्डाणपूल, व्हॅलेंटाईन डे जैसै पाश्चिमात्य देशों की संस्क्रुती के खीलप आवाज उठाया । बॉम्बे का मुम्बई नामकरण किया ।
25 जुलाई 2012 को साँस लेने में कठिनाई आने की वजह से उनको लीलावती अस्पताल में भर्ती किया गया । लेकिन खाना पानी छोड़ने की वजह से उनको अपने निवास लाया गया । में तमाम प्रयासों, दवाओं व दुआओं के बावजूद उन्हें बचाया नहीं जा सका और अखिरकार उनकी आत्मा ने 17 नवम्बर 2012 को उनका स्वर्गवास हो गया लेकिन उनके शवयात्रा में करीबन 20 लाख लोग आये थे ऐसी यात्रा पुरे भारत में कई निकाली नहीं होगी शवयात्रा में सभी जाती धर्म के लोग शामील हुए थे ।
अपनी मृत्यु से कुछ दिन पूर्व उन्होंने मराठी अखबार सामना में कहा था ल मेरी हालत बहुत खराब है । लेकीन उससे खराब मेरे देश की हालत है । फिल्म की निर्माता स्वप्ना पाटकर है और अतुल काले द्वारा निर्देशित हैं। 2015 में मराठी भाषा की फिल्म बालकडू निकाली गयी ।
[स्रोत- बाळू राऊत]