बप्पा श्री गणेश गणाध्यक्ष विघ्नहर्ता इस बार 25 अगस्त, शुक्रवार को आ रहे है, पाठकगण मेरे द्वारा बताई गयी सरल विधि से स्वयं ही प्रभु श्री गणेश की स्थापना और पूजन कर सकते है | वे स्वयं शुभंकर है फिर भी सर्वप्रथम उनके स्थापना का शुभ मुहूर्त उल्लिखित कर दूँ – दिन में 12:10 से 12:36 तक अभिजित मुहूर्त की शुभ चौघडिया में गणपति को अपने निवास स्थान पर स्थापित करे, ये मुहूर्त आपकी समस्त मनोकामनाओ की पूर्ति अवश्य करेगा |
उनके लिए एक चौकी या पाटा (लकड़ी का) हो सके तो आम की लकड़ी का स्थापित कीजिये उसके आस पास इतना स्थान छोडिये कि आप लोग आराम से प्रदक्षिणा कर सके | उस चौकी के नीचे अनामिका (रिंग फिंगर) से रोली द्वारा स्वस्तिक को बनाइये परन्तु स्मरण रहे कि स्वस्तिक की सभी भुजाये समान हो और उनके मध्य चार छोटे बिंदु स्थापित कीजिये | (ये बिंदु धर्म, अर्थ, काम और मोक्ष के प्रतीक है|)
गणपति मन्त्र
वक्रतुंड महाकाय सूर्यकोटि सम:प्रभ |निर्विघ्नं कुरु मे देव सर्वकार्येषु सर्वदा ||
अब पूजन प्रारंभ करते है स्थान और आत्मशुद्धि हेतु पान के पत्तो अथवा दूर्वा (दूब) से जल आचमन करे और गणेश जी एवं सबके ऊपर उसका छिडकाव करे
ॐ केशवाय नम:। ॐ नारायणाय नम:। ॐ माधवाय नम:।
कहकर हाथ में जल लेकर तीन बार आचमन करें(पी लें) एवं ॐ ऋषिकेशाय नम: कहकर हाथ धो लें।
अब स्थान शुद्धि के हेतु एक सरल मन्त्र बोले
“ॐ अपवित्र: पवित्रो वा सर्वावस्थां गतोऽपि वा।य: स्मरेत् पुण्डरीकाक्षं स बाह्याभ्यन्तर: शुचि:।।“
फिर तीन बार बोले
ॐ पुण्डरीकाक्षः पुनातु, ॐ पुण्डरीकाक्षः पुनातु, ॐ पुण्डरीकाक्षः पुनातु
अब कलश को उनकी प्रतिमा के वाम भाग (बायीं ओर) स्थापित करे एवं वस्त्र, यज्ञोपवीत (जनेऊ), आभूषण, मुकुट पगड़ी आदि से शोभित करे तत्पश्चात पूजन प्रारंभ करते हुए उन्हें संबोधित और अर्पित करे
1. हे प्रभु विघ्नविनाशक मैं आपको पृथ्वीरूप गंध (चन्दन, इत्र) अर्पित करता हूँ ।
2. हे प्रभु लम्बोदर मैं आपको आकाशरूप पुष्प एवं माला अर्पित करता हूँ ।
3. हे प्रभु गजानन मैं आपको वायुरूप धूप (धूपबत्ती – अगरबत्ती से परहेज करे) अर्पित करता हूँ ।
4. हे प्रभु दामोदर मैं आपको अग्निरूप दीप अर्पित करता हूँ ।
5. हे प्रभु महाकाय मैं आपको अपने अमृतरुपी भाव से नैवेद्य (फल, मिष्ठान, मोदक, पान के पत्ते पर ताम्बूल फल– सुपाड़ी) अर्पित करता हूँ ।
6. हे प्रभु एकदंत मैं आपको साष्टांग प्रणाम करता हूँ ।
अंत में सभी लोग अपने हाथो में पुष्प लेकर गणपति आरती कीजिये और उनकी एक प्रदक्षिणा (परिक्रमा) करके अपनी त्रुटियों के लिए क्षमा प्रार्थना कीजिये |
नित नियत समय पर गणपति की आरती करे उनके लिए मोदक के साथ विभिन्न व्यंजनों को भोग लगाये और तुलसी पत्र को भूल कर भी अर्पित न करे |
सभी को गणपति उत्सव की शुभकामनाये ……. प्रथमेश्वर सिद्धिविनायक आप सबकी मनोकामना पूर्ण करे
ॐ गं गणपतये नमः
[स्रोत: पं. नीरज शुक्ला]