भिलाई : भिलाई के स्पात संयंत्र प्रबंधन के गैर जिम्मेदाराना रवैया से पूरे संयंत्र के अंदर अफरा-तफरी का माहौल पैदा होने की आशंका लगातार बढ़ती जा रही है। पिछले 15 फरवरी 2018 को सेफ्टी समितियों का जिस नाटकीय तरीके से अधिशासी निदेशक संकार्य, भिलाई इस्पात संयंत्र द्वारा उनके हस्ताक्षर से जारी किया गया, शायद इस तरीके की घटना सुरक्षा या अन्य सांविधिक कमेटियों के गठन के मामले में इसके पहले कभी नहीं हुआ।
ऐसे होता है सुरक्षा समितियों का गठन
फैक्ट्री नियमों के तहत सुरक्षा समितियों की गठन कर्मियों द्वारा चुने गए कार्मिक साथियों एवं प्रबंधन द्वारा उसी संख्या में अधिकारियों का नाम शामिल कर सुरक्षा समितियों का गठन किया जाता है। सदस्यता जांच हेतु श्रम विभाग भारत सरकार द्वारा करवाए गए गुप्त मतदान में बहुमत हासिल कर मान्यता प्राप्त करने वाली यूनियन के द्वारा दिए गए नामों को कर्मियों द्वारा चुने गए प्रतिनिधि के रूप में स्वीकार करना की परिपाटी सेल के अन्य ईकाईयो के सात भिलाई इस्पात संयंत्र में भी रही है।
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इसी परिपाटी का पालन करते हुए पिछले कार्यकाल में मान्यता प्राप्त यूनियन के द्वारा दिए गए नामों को औद्योगिक संबंध विभाग ने उचित कार्यवाही हेतु उप महाप्रबंधक (कार्मिक – संकार्य) के माध्यम से सुरक्षा समितियां गठित किए जाने वाले सभी फैक्ट्रियों के कार्मिक अधिकारी को उचित कार्यवाही हेतु भेजा गया।
उन फैक्ट्रियों से समान संख्या में अधिकारियों का नाम सम्मिलित करने के पश्चात उस विभाग प्रमुख के हस्ताक्षर से सुरक्षा समितियों का गठन का पत्र जारी किया गया था।
मनमानी पर उतर गया है सुरक्षा विभाग
पिछले बार कोक ओवन एवं कोल केमिकल विभाग में पी.आर. देशमुख, रेल एवं स्ट्रक्चरल विभाग में ए.व्ही.कमलाकर, प्लेट मिल में शर्मा, एस.पी.3 में एस भट्टाचार्य, आदि के हस्ताक्षर से सुरक्षा समितियों का परिपत्र जारी किया गया था, एवं इस परिपत्र की प्रतिलिपि अधिशासी निदेशक (संकार्य), महाप्रबंधक सुरक्षा, उप महाप्रबंधक कार्मिक संकार्य एवं वरिष्ठ प्रबंधक आई.आर. को भेजी गयी थी।
इस बार एकदम अलग प्रक्रिया अपनाकर मनमाने ढंग से विभागों में परिपत्र जारी करे बिना परिपत्र जारी होने की सूचना दी जा रही है।
[स्रोत- घनश्याम जी.बैरागी]