प्रस्तुत पंक्तियों में कवियत्री दुनियाँ को अपनी-अपनी क्षमताओं से एक दूसरे की मदद करने की प्रेरणा दे रही है। वह कहती है कि अगर हर इंसान अपनी अपनी ज़िम्मेदारियाँ सही से निभाले तो कभी किसी दूसरे पर बर्डन नहीं पड़ेगा। कवियत्री कहती है कि हर घर में अपनी एक अनोखी फ़ौज तैयार करो जिससे तुम कभी किसी पर निर्भर न हो, घर में भी आपस में एक दूसरे की सहायता करो, फिर सब अपने मिल कर एक साथ खुशियों के पल बिताओ और जीवन के सुनहरे रंग साथ में देखो।
याद रहे दोस्तों चाहे किसी ने हमारे लिया कुछ छोटासा ही काम क्यों न करा हो उसका शुक्रिया अदा करना कभी न भूलना क्योंकि इन्ही छोटी छोटी बातो से घर में सुख शांति का महौल बना रहता है। असली परीक्षा विपरीत परिस्थिति में होती है क्योंकि ख़ुशी में साथ देना, साथ मिलकर रहना कोई बड़ी बात नहीं। अंत में कवियत्री सबसे प्रार्थना कर रही है कि सब मिलकर एक ऐसा अनोखा घर बनाओ जो आने वाली पीढ़ी तक के लिए एक उदाहरण बन जाये। सब अपना पुण्य का घड़ा एक दूसरे की मदद करके ही भर सकते है।
अब आप इस कविता का आनंद ले।
अपनी अपनी क्षमताओं से एक दूसरे की मदद करना।
ईश्वर के दिखाये, सच के मार्ग पर चलने से, तुम कभी न डरना।
हर कोई जब अपनी कला का प्रदर्शन देगा।
किसी और से उम्मीद कर,फिर वो किसी से कुछ न लेगा।
अपनी फ़ौज खड़ी कर, देखो इस दुनियाँ के हसीन रंग।
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गृहस्थी चलाने के होते, सबके अपने अनोखे ढंग।
छोटा काम हो या बड़ा, किसी की प्रशंसा करना न भूलना।
शांति का मेला सजाके खुदके घर में,
साथ में सबके, सुकून का झूला झूलना।
विपरीत परिस्थिति के आने पर,
तुम अपनों को कभी न भूलना।
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भरोसा करना एक दूसरे की क्षमताओं पर,
मिलकर साथ में रहने से, बनता एक अनोखा घर।
सबकी जीत, एक दूसरे पर ,निर्भर करती है।
सबकी पुण्य की गगरी, एक दूसरे की मदद से ही भरती है।
धन्यवाद