फिर भी

आधा सच घातक होता है

प्रस्तुत पंक्तियों में कवियत्री दुनियाँ को समझा रही है कि किसी भी क्षेत्र में पाया आधा ज्ञान घातक होता है। कभी किसी का पूरा सच न जाने बगैर उसके बारे में कुछ गलत धारणा न बनाओ। ज्ञान की राह में भी कभी किसी के धर्म को लेकर आवाज़ न उठाओ क्योंकि गलती इंसानो से होती है.angry
ईश्वर, अल्लाह, जीसस, वाहेगुरु अथवा पूरे संसार की शक्ति ने हमे कभी कुछ गलत नहीं सिखाया। हम ईश्वर के दिखाये मार्ग पर नहीं चल पाते ये हमारी गलती है.एक ही धर्म के लोग अलग अलग विचार के हो सकते है इसलिए कभी बिना पूरी बात जाने किसी के लिए भी न गलत सोचना और नहीं गलत बोलना।

अब आप इस कविता का आनंद ले।

किसी के आधे सच को जान कर,
उसके प्रति कोई गलत धारणा न बनाना।
फूलो का तो काम ही होता है,
खिल कर फिर मुरझा जाना।
हम ही तो कभी मुस्कुराते है.
तो हम ही कभी रूठ जाते है।
हस्ते खेलते ज़िन्दगी में,
अक्सर ठोकर भी, हम ही तो खाते है।
अपनी आयु के बढ़ते,
अपनी क्षमताओं को जगाते है।
एक ही बात है जीवन की जो,
हम अक्सर भूल जाते है।

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कुछ वक़्त बिता कर यहाँ,
हम सब यहाँ से जाते है।
अपनी गलतियों के कारण ही तो,
जीवन में ठोकरे हम खाते है।
दूसरों की गलती को देख,
हम आसानी से आग बबूला हो जाते है।
अपनी गलतियों को छुपा कर,
हम अक्सर उस पर पर्दा कर जाते है।
जाने अंजाने में ये सब करके,
हम खुदको ही तो चोट पहुँचाते है।
खुदकी गलती को वक़्त पर न मान,
हम दूसरों का भी दिल दुखाते है।
जीवन के आधे सच को जान,
अंत में हम बिना कुछ बड़ा हासिल करे ही सो जाते है।
उस अधूरी कहानी को पूरा करने,
फिर लौट कर हम यहाँ आते है।
हर जनम में यूँ ही,
जीवन की गहराइयो को हम कुछ हद तक ही समझ पाते है।

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जीने का सही सलीका कुछ ज्ञानी जन,
पूरी तरह से समझ जाते है।
सही दिशा की राह में चोट तो वो महाजन भी खाते है।
आधे सच को जान, वह किसी पर गलत इलज़ाम नहीं लगाते है।
शायद इसलिए क्योंकि वह जानते है।
मनुष्य रूप में गलती तो सबसे होती है।
अपने को संभाले रखने में,
हर महान आत्मा अपने पर पहले संतोष लगाती है।
खुदको संभाले फिर दूसरों को भी वो सही राह दिखाती है।
दूसरे के ज्ञान को सुनकर,
वह कभी खुदके पाये ज्ञान पर नहीं इतराती है।

धन्यवाद

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