फिर भी

जीवन की हरियाली

प्रस्तुत पंक्तियों में कवियत्री दुनियां को यह समझाने की कोशिश कर रही है कि किसी के जीवन में हरियाली यूही नहीं आती इंसान खुदको मेहनत की अग्नि में तपाकर कुछ बड़ा हासिल बड़ी मुश्किल से करता है लेकिन दुख की बात ये है की दुनियाँ को लोगो की सफलता नज़र आती है लेकिन उसके पीछे करा संघर्ष समझमे नहीं आता या समझ कर भी वो उसे समझना नहीं चाहता हर इंसान अपने आप में अनोखा है काबिल है वो भी मेहनत कर कुछ बड़ा हासिल कर सकता है, याद रखना दोस्तों किसी और को जलाकर या दूसरे से जलकर इंसान खुदको ही जलाता है और इस क्रिया में उसका कोई लाभ नहीं होता.

अब आप इस कविता का आनंद ले…

हरियाली भरा जीवन,
किसीको यू ही नहीं मिलता,
बिन तकलीफ के किसीकी,
कोख में,एक फूल नहीं खिलता।
तपाती है ये कायनात भी,
किसीकी अच्छाई को उभारनेमे
जीवन बीत जाता,
लोगो को खुदको सवारनेमे।

हरियाली देख तो,
सबको मज़ा आता है।
उस  मज़े के पीछे तो देखो,
एक माली खुदको धूप में कितना तपाता है।
उसकी मेहनत का रंग रूप तो सबको नज़र आता है।
मगर उसके तकलीफो की पहचान,
इस दुनियाँ में हर कोई नहीं कर पाता है।

हरियाली फैलाना हर एक के बस की बात नहीं।
हर किसी के लिए मैं क्या कहूँ,
इतनी तो मेरी औकात नहीं।
समझे जो मेरी इस छोटीसी बात को।
उसके जीवन में फिर कोई काली रात नहीं।

धन्यवाद।

Exit mobile version